Monday, February 28, 2011

इसमें अमीरी क्या करेगी?

चलिए, अब मैं बात करता हूँ कुछ उन बातों की जिनमे अमेरिका बहुत आगे है। इसकी सबसे बड़ी, या कहिये बड़ी खूबियों में से एक, यह है कि यहाँ आपको एक इंच भी लावारिस भूमि नहीं मिलेगी। अर्थात ऐसी कोई जगह नहीं है जिसे किसी भी इन्सान की देखरेख या ध्यान न मिल रहा हो।यहाँ की लैंड स्केपिंग इतनी शालीन है कि हर जगह किसी न किसी की संवारी हुई नज़र आती है। किसी की लापरवाही की शिकार जगह आपको यहाँ ढूंढें से भी नहीं मिलेगी। मेरे भारतीय मित्र मुझे क्षमा करें तो मैं कहूँगा कि भारत के शहरों में हम ऐसी जगह मुश्किल से ही पाते हैं जहाँ किसी ने थूक न रखा हो,या नाक न सिनक रखी हो या फिर आसपास कोई व्यक्ति सार्वजनिक रूप से खड़ा पेशाब न कर रहा हो। सड़कों पर गन्दगी और घिनौना कचरा होना और होते रहना तो आम बात है। मेरा मकसद किसी भी तरह अपने देश की तौहीन करना नहीं है,मगर सच को सच न कहने से भी तो बात नहीं बनेगी ।हमने अपना कचरा-प्रबंधन तो एक तरह से बिलकुल अस्त-व्यस्त कर लिया है। जो लोग बरसों से यह काम कर रहे थे उन्हें सामाजिक उत्थान के नाम पर अन्यत्र लगा दिया है किन्तु उनका विकल्प कौन और क्या होगा इस पर बिलकुल भी ध्यान नहीं दिया। जब की अमेरिका में कचरा उठाने वाले भी अपनी डिग्निटी को बनाये रख कर पूरी गंभीरता व निष्ठा से यह काम कर रहे हैं। वे बहुतायत में मशीनों का प्रयोग भी कर रहे हैं। लेकिन वे मशीने कतई ऐसी नहीं हैं जो भारत इस्तेमाल न कर सके। बशर्ते उनकी खरीद में उच्च -स्तरीय घोटाले न हों।
अपनी और अपने परिवेश की गन्दगी दूर करना कोई अपराध या गिरा हुआ काम नहीं है। अमेरिका यह नसीहत हमें भली-भांति देता है।

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