हर पोथी-पतरे की किस्मत लिखता है केवल एक नाम
अभिकरण,अधिकरण,प्राधिकरण,कहने को हैं सब ताम-झाम
दिल्ली है अबुल-फज़ल जैसे गणितज्ञों की नगरी वैसे
सब भूल गयी अब गिनती है बस डेढ़ नाम केवल दिल्ली
घूमे सब सरकारी अफसर दिन भर कारों में सरकारी
फिर बेदम धुएं से होती दिल्ली ' पर्दूषण ' की मारी
है रखती कभी उधार नहीं संग चुकता कर देती दिल्ली
सबको गंगाजी साफ करें गंगा को साफ करे दिल्ली
वर्दी की देख-रेख में अब, दुनिया है जिस्म-फरोशी की
हैं झिलमिल चौक चांदनी के पर तमस भरी किस्मत इनकी
नारी-शुचिता की सरे आम है यहाँ तिजारत अब होती
जमना के पावन तीर बसी मीना-बाज़ारों की दिल्ली
रखवाला है अब अस्मत का ,इन बहनों की ,ऊपरवाला
हाँ,हर्जाना कुछ नोटों का चाहे तो ले जाये बाला
सीता-अनुसुइया-सावित्री जूडो-कुंगफू क्यों सीख रहीं
लगता है खतरा देख रही इस नयी सदी में कुछ दिल्ली
अभिकरण,अधिकरण,प्राधिकरण,कहने को हैं सब ताम-झाम
दिल्ली है अबुल-फज़ल जैसे गणितज्ञों की नगरी वैसे
सब भूल गयी अब गिनती है बस डेढ़ नाम केवल दिल्ली
घूमे सब सरकारी अफसर दिन भर कारों में सरकारी
फिर बेदम धुएं से होती दिल्ली ' पर्दूषण ' की मारी
है रखती कभी उधार नहीं संग चुकता कर देती दिल्ली
सबको गंगाजी साफ करें गंगा को साफ करे दिल्ली
वर्दी की देख-रेख में अब, दुनिया है जिस्म-फरोशी की
हैं झिलमिल चौक चांदनी के पर तमस भरी किस्मत इनकी
नारी-शुचिता की सरे आम है यहाँ तिजारत अब होती
जमना के पावन तीर बसी मीना-बाज़ारों की दिल्ली
रखवाला है अब अस्मत का ,इन बहनों की ,ऊपरवाला
हाँ,हर्जाना कुछ नोटों का चाहे तो ले जाये बाला
सीता-अनुसुइया-सावित्री जूडो-कुंगफू क्यों सीख रहीं
लगता है खतरा देख रही इस नयी सदी में कुछ दिल्ली
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