इस कशमकश से लगभग हर युवा कभी न कभी गुज़रता है कि वह अपने कैरियर के लिए निजी क्षेत्र को चुने, या सार्वजनिक। मतलब नौकरी प्राइवेट हो या सरकारी।
एक कष्टकारक बात ये है कि भारत में बहुत कम युवाओं को ही अपना क्षेत्र चुन पाने का यह अवसर मिल पाता है। अधिकांश को तो अपनी नैया हवा के रुख और उपलब्ध मौकों को देख कर ही खेनी पड़ती है। लेकिन फिर भी आपको ये पता होना चाहिए कि आप जिस कल के "सपने" देखें उसकी झोली में क्या मीठा है, क्या खट्टा और क्या तीखा?
यदि आप कोई व्यवसाय न करके नौकरी की ही तलाश में हैं, तो जानिए कि प्राइवेट और सरकारी, दोनों ही तरह के काम में कुछ अच्छाइयाँ हैं।
प्राइवेट नौकरी में आपकी योग्यताओं को तत्काल पहचानने वाला 'लिटमस टेस्ट' पल-पल पर आपके लिए उपलब्ध है।
सरकारी नौकरी में आपकी कमियों को ढूंढने वालों को लम्बे-लम्बे टेस्ट देने होंगे।
एक कष्टकारक बात ये है कि भारत में बहुत कम युवाओं को ही अपना क्षेत्र चुन पाने का यह अवसर मिल पाता है। अधिकांश को तो अपनी नैया हवा के रुख और उपलब्ध मौकों को देख कर ही खेनी पड़ती है। लेकिन फिर भी आपको ये पता होना चाहिए कि आप जिस कल के "सपने" देखें उसकी झोली में क्या मीठा है, क्या खट्टा और क्या तीखा?
यदि आप कोई व्यवसाय न करके नौकरी की ही तलाश में हैं, तो जानिए कि प्राइवेट और सरकारी, दोनों ही तरह के काम में कुछ अच्छाइयाँ हैं।
प्राइवेट नौकरी में आपकी योग्यताओं को तत्काल पहचानने वाला 'लिटमस टेस्ट' पल-पल पर आपके लिए उपलब्ध है।
सरकारी नौकरी में आपकी कमियों को ढूंढने वालों को लम्बे-लम्बे टेस्ट देने होंगे।
सही कहा
ReplyDeleteDhanyawad!
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