एक लम्बी कविता के २५ भाग आपने देखे। यह कविता अभी समाप्त नहीं है। लेकिन किसी लम्बी यात्रा पर निकलने से पहले ज़रा पीछे मुड कर देख लेने में कोई हर्ज़ नहीं है। यदि कोई साथ या पीछे आता दिख जाये तो ज़रा उसके चेहरे के भाव भांप लिए जाएँ।
असल में आज बात कहने का शायद एक ही तरीका रह गया है। बाकी तरीके लुप्तप्राय से हैं।वह तरीका यह है कि आप बात कहें। बात के आगे-पीछे,दायें-बाएं या ऊपर-नीचे कदमताल न करें।
एक ज़माना था कि जब यदि कोई कहता था कि मैं किस काबिल हूँ तो यह समझा जाता था कि वह बहुत काबिल है। जब किसी से कहा जाता था कि आप तो महान हैं,तब यह समझा जाता था कि उसे बेवकूफ बनाया जा रहा है। यह व्यंग्य होता था। अब व्यंग्य लुप्तप्राय है। अभिधा,लक्षणा और व्यंजना केवल हिंदी के विद्यार्थियों को बताई जाती हैं। और हिंदी के विद्यार्थी क्लास में आने की ज़रूरत ही नहीं समझते,क्योंकि वे लगभग नहीं के बराबर ही होते हैं।
ऐसे में बात कहने के तरीके भी मर रहे हैं। आज जब किसी से कहा जाता है -शेयर खाता खोल सजनियाँ,तो वह यही समझता या समझती है कि उसे वित्तीय सलाह या फाइनेंशियल ऐडवाइस दी जा रही है। क्योंकि पैसा तो येन-केन-प्रकारेण कमाना ही है। इसे कमाने की सलाह देना भला व्यंग्य या मजाक कैसे हो सकता है।
इस लिए गुज़ारिश है कि इस बात पर मत जाइये कि यह ख़ुशी से कहा जा रहा है या दुःख से,व्यंग्य से कहा जा रहा है या सपाट बयानी से, आप तो इस का आनंद लीजिये और कौड़ी-कौड़ी के लिए निगोड़ी ज़िन्दगी को दाव पर लगाने वालों की दाद दीजिये।
कमेन्ट कीजिये कि इसे बढ़ाएं या रोक दें?
प्रकाशित पुस्तकें
उपन्यास: देहाश्रम का मनजोगी, बेस्वाद मांस का टुकड़ा, वंश, रेत होते रिश्ते, आखेट महल, जल तू जलाल तू
कहानी संग्रह: अन्त्यास्त, मेरी सौ लघुकथाएं, सत्ताघर की कंदराएं, थोड़ी देर और ठहर
नाटक: मेरी ज़िन्दगी लौटा दे, अजबनार्सिस डॉट कॉम
कविता संग्रह: रक्कासा सी नाचे दिल्ली, शेयर खाता खोल सजनिया , उगती प्यास दिवंगत पानी
बाल साहित्य: उगते नहीं उजाले
संस्मरण: रस्ते में हो गयी शाम,
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मै तो कहूँगा रोक दीजिए|कारण इस कविता से आप जो कहना चाह रहे हैं उसे समझने के लिए थोडा सा ठहरना पड़ेगा| उस पर सोचना पड़ेगा लेकिन ऐसे लोग कम हैं| मेरा मानना है कि जिस ढंग से लोग चाहते हैं उसको उसी ढंग में लेकिन अपनी बात बताईये| वैसे आपकी कविता मुझे पसंद आ| धन्यवाद
ReplyDeletejaisa tumne kaha,maine kar diya.kavita achchhi lagi,meri koshish safal hui.
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