Wednesday, November 14, 2012

ऐसी बहनों को एक टीका लगा कर उनकी ख़ुशी की कामना करें

ज़रा अपने और अपने आसपास के घर-परिवारों को देखिये। कितनी ही लड़कियां आपको ऐसी दिखेंगी, जो अपनी मेहनत  और लगन से पढ़ाई करते हुए अपना कैरियर खुद बनाती हैं, और फिर अपने परिवार का सहारा बनती हैं। एक नहीं, बल्कि कई बार तो वे दो परिवारों तक को सहारा देती हैं, एक अपने माता-पिता का परिवार, दूसरा अपने पति का परिवार। भावनात्मक सहारा देने का काम तो उनके जिम्मे है ही। अपने भाइयों के लिए अपनी जान से भी ज्यादा स्नेह लेकर उनके हर दुःख-सुख में शामिल रहना, पिता-माता के लिए दायित्व भरा दुलार लेकर उनकी ज़िम्मेदारी संभालना, और पति व उसके परिवार के लिए तो अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तत्पर रहना, कोई लड़कियों से सीखे। यह सब आप अपने आसपास आसानी से देख सकते हैं।
एक बात बताइये, क्या हमारे कलेण्डरों में कोई ऐसी तारीख दर्ज है, जब हम इन बहनों या बेटियों के माथे पे तिलक करके इनकी खुशियों की कामना करें? आइये, आज भाई-दौज है,आज भाई बहन दोनों ही एक दूसरे को शुभ का टीका लगाएं, और इसका नाम केवल "स्नेह-दौज" कर दें।

4 comments:

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...