एक बार एक शिक्षक के पास से अपनी पढ़ाई पूरी करके जाते समय एक विद्यार्थी मिलने आया। उसने टीचर के सम्मान सहित पैर छुए, और बोला- सर,अब मैं यहाँ से जा रहा हूँ, मेरा आना यहाँ न जाने अब कब हो, इसलिए मैं चाहता हूँ कि आप मेरे जाते समय कुछ ऐसा कहें, जिसे मैं हमेशा याद रखूँ।
टीचर ने कहा- जब भी घर से निकलो, यह कोशिश करना कि चाहे तुम्हारे कपड़े अच्छे न हों, पर तुम रोटी खाकर ही घर से निकलना, और यह देखना कि उस पर घी अवश्य हो।
लड़का उनकी बात से ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ। धीरे से बोला- सर, कुछ और?
अध्यापक ने कहा- हाँ, यह हमेशा याद रखना कि घोड़ा गधे से ज्यादा बोझ उठाता है, मगर घोड़ा वही बोझ उठाता है जो घोड़ा खुद चाहे,और गधा वह बोझ उठाता है जो कुम्हार चाहे।
लड़का उनकी बात से प्रभावित हुआ और उठते हुए बोला- अब मुझे इजाज़त दीजिये।
लड़का उठ ही रहा था, कि भीतर से गुरूजी की धर्मपत्नी आ गयीं , और बोलीं- अरे बेटा, खाना खाकर जाना। यह कहते हुए उन्होंने दो थालियाँ रखीं, और बोलीं, ये घी वाली रोटियां तुम्हारी हैं और रूखी अपने सर को देदो। लड़के ने सकुचाते हुए ऐसा ही किया और दोनों खाना खाने लगे।
गुरूजी ने मिठाई की प्लेट से एक बर्फी उठाई ही थी,कि उनकी धर्मपत्नी फिर आ गयीं। वह कड़क करअपने पति से बोलीं- "अरे-अरे बर्फी रखो नीचे, ये छाछ लो ", फिर वे लड़के से बोलीं-"खाओ बेटा, जो इच्छा हो वही खाओ।"
टीचर ने कहा- जब भी घर से निकलो, यह कोशिश करना कि चाहे तुम्हारे कपड़े अच्छे न हों, पर तुम रोटी खाकर ही घर से निकलना, और यह देखना कि उस पर घी अवश्य हो।
लड़का उनकी बात से ज्यादा प्रभावित नहीं हुआ। धीरे से बोला- सर, कुछ और?
अध्यापक ने कहा- हाँ, यह हमेशा याद रखना कि घोड़ा गधे से ज्यादा बोझ उठाता है, मगर घोड़ा वही बोझ उठाता है जो घोड़ा खुद चाहे,और गधा वह बोझ उठाता है जो कुम्हार चाहे।
लड़का उनकी बात से प्रभावित हुआ और उठते हुए बोला- अब मुझे इजाज़त दीजिये।
लड़का उठ ही रहा था, कि भीतर से गुरूजी की धर्मपत्नी आ गयीं , और बोलीं- अरे बेटा, खाना खाकर जाना। यह कहते हुए उन्होंने दो थालियाँ रखीं, और बोलीं, ये घी वाली रोटियां तुम्हारी हैं और रूखी अपने सर को देदो। लड़के ने सकुचाते हुए ऐसा ही किया और दोनों खाना खाने लगे।
गुरूजी ने मिठाई की प्लेट से एक बर्फी उठाई ही थी,कि उनकी धर्मपत्नी फिर आ गयीं। वह कड़क करअपने पति से बोलीं- "अरे-अरे बर्फी रखो नीचे, ये छाछ लो ", फिर वे लड़के से बोलीं-"खाओ बेटा, जो इच्छा हो वही खाओ।"
खर कुम्भार राजी
ReplyDeleteतो कौन हारे बाजी
Sateek!Dhanyawaad.
ReplyDelete