आइये, सबसे पहले जानें, कि कौन है आम आदमी?
वो आदमी जिसे आसानी से रोटी कपड़ा और मकान नहीं मिलता,जिसे जीवन की मूलभूत ज़रूरतों के लिए लगातार संघर्षरत रहना पड़ता है।
इस आदमी के लिए किसी भी देश में, किसी भी समय में सबसे बड़ी बाधा यही है कि कुछ लोग "उसकी रोटी" अपने गोदाम में रख लेते हैं। उसका कपड़ा अपनी निगाहों से उतारने की फिराक में रहते हैं,उसके मकान पर अपना झण्डा फहरा देना चाहते हैं।
आम आदमी के लिए काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को इन गोदामों के ताले तोड़ना आना चाहिए,उन आँखों को फोड़ना आना चाहिए, उन झंडों के रंग बदलना आना चाहिए। यह आसान काम नहीं है।लेकिन इतिहास मुश्किल काम करने वालों को ही याद करता है।
एक राजा था।उसने ऐलान किया कि जो कोई उसके राज्य के सभी लोगों को खुश कर देगा, वह उसे पुरस्कार देगा। एक युवक ने यह चुनौती स्वीकार कर ली। वह रोज़ वेश बदल कर घूमता, और देखता कि राज्य में कौन दुखी है। जो भी उसे दीन-दुखी दिखाई देता, वह चुपचाप, राजा के खजाने से चुरा कर उसे उसका वांछित धन दे देता। कुछ दिन में राज्य में सभी ओर खुशहाली फ़ैल गई।
जब उसने राजा से ईनाम माँगा, राजा ने तत्काल आदेश दिया कि उसे शाही खजाने से मुंह माँगा ईनाम दिया जाय। तब मंत्री ने डरते-डरते बताया-हुज़ूर,आपके शाही खजाने में तो एक मुद्रा भी नहीं है।
राजा आग- बबूला हो गया। वह बोला- जब राज्य में मैं ही दीन-दुखी हूँ, तो फिर इस युवक को ईनाम किस बात का?
युवक तत्काल बोला-महाराज, बात तो आम लोगों की थी। आम आदमी तो आपके राज्य में सभी खुश हैं।
राजा को उसकी बात सही लगी। राजा ने अपनी पगड़ी उतार कर उसे ईनाम में देदी।
वो आदमी जिसे आसानी से रोटी कपड़ा और मकान नहीं मिलता,जिसे जीवन की मूलभूत ज़रूरतों के लिए लगातार संघर्षरत रहना पड़ता है।
इस आदमी के लिए किसी भी देश में, किसी भी समय में सबसे बड़ी बाधा यही है कि कुछ लोग "उसकी रोटी" अपने गोदाम में रख लेते हैं। उसका कपड़ा अपनी निगाहों से उतारने की फिराक में रहते हैं,उसके मकान पर अपना झण्डा फहरा देना चाहते हैं।
आम आदमी के लिए काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को इन गोदामों के ताले तोड़ना आना चाहिए,उन आँखों को फोड़ना आना चाहिए, उन झंडों के रंग बदलना आना चाहिए। यह आसान काम नहीं है।लेकिन इतिहास मुश्किल काम करने वालों को ही याद करता है।
एक राजा था।उसने ऐलान किया कि जो कोई उसके राज्य के सभी लोगों को खुश कर देगा, वह उसे पुरस्कार देगा। एक युवक ने यह चुनौती स्वीकार कर ली। वह रोज़ वेश बदल कर घूमता, और देखता कि राज्य में कौन दुखी है। जो भी उसे दीन-दुखी दिखाई देता, वह चुपचाप, राजा के खजाने से चुरा कर उसे उसका वांछित धन दे देता। कुछ दिन में राज्य में सभी ओर खुशहाली फ़ैल गई।
जब उसने राजा से ईनाम माँगा, राजा ने तत्काल आदेश दिया कि उसे शाही खजाने से मुंह माँगा ईनाम दिया जाय। तब मंत्री ने डरते-डरते बताया-हुज़ूर,आपके शाही खजाने में तो एक मुद्रा भी नहीं है।
राजा आग- बबूला हो गया। वह बोला- जब राज्य में मैं ही दीन-दुखी हूँ, तो फिर इस युवक को ईनाम किस बात का?
युवक तत्काल बोला-महाराज, बात तो आम लोगों की थी। आम आदमी तो आपके राज्य में सभी खुश हैं।
राजा को उसकी बात सही लगी। राजा ने अपनी पगड़ी उतार कर उसे ईनाम में देदी।
वाह, बहुत सुन्दर
ReplyDeleteDhanywad.
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