पिछले दिनों जब ऐश्वर्या राय को एक भव्य समारोह में पुरस्कृत किया जा रहा था, तो आराध्या को इस पुरस्कार में इतनी ही रूचि थी कि मम्मी उसे गोद में लिए हुए ही पुरस्कार ग्रहण करें। लेकिन जब मम्मी ने शिष्टाचार न तोड़ा तो बेबी आराध्या को गुस्सा आना ही था। उसने यह गुस्सा रोकर दर्शाया। उधर ऐश्वर्या मंच से अमिताभ बच्चन को नमन करते हुए उनकी तारीफ के पुल बाँध रही थीं, तो ज़ाहिर है कि सब देखने वाले अमितजी को ही देख रहे हों। ऐसे में आराध्या की आया से अमितजी आराध्या को लेकर गोद में कैसे उठा सकते थे। लिहाज़ा कोई न कोई "आइडिया" लेकर सरजी को आना ही था, सो वे आये भी। न केवल आये, बल्कि उन्होंने आया के रिलीवर की भूमिका भी निभाई। और इस तरह कार्यक्रम का अभिषेक हुआ।
पर इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि बच्चे समझदार नहीं होते। वे आज की ही नहीं, सैंकड़ों साल पुरानी बातें भी जानते हैं। एक बच्चे से जब उसके टीचर ने पूछा कि बताओ,सम्राट अशोक ने सड़कों के किनारे पेड़ क्यों लगवाए? बच्चे ने तुरंत कहा- "यदि बीच में लगवाता तो ट्रेफिक जाम नहीं हो जाता?"
पर इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि बच्चे समझदार नहीं होते। वे आज की ही नहीं, सैंकड़ों साल पुरानी बातें भी जानते हैं। एक बच्चे से जब उसके टीचर ने पूछा कि बताओ,सम्राट अशोक ने सड़कों के किनारे पेड़ क्यों लगवाए? बच्चे ने तुरंत कहा- "यदि बीच में लगवाता तो ट्रेफिक जाम नहीं हो जाता?"
No comments:
Post a Comment