Tuesday, October 23, 2012

छः महीने का शिशु क्या देखता है हम में

जब हम किसी भी छोटे से बच्चे को देखते हैं, तो हमारा मन उसे गोद में उठाने या पुचकारने का होता है। लोग उसका गाल थपथपा कर या उसे सहला कर उस से दृष्टि-संपर्क बनाने का प्रयास करते हैं। कई बार रेल या बस में सफ़र करते हुए किसी छोटे से बच्चे के कारण  ही अपरिचित व्यक्तियों में भी  आपस में बातचीत होने लग जाती है, क्योंकि संपर्क का यह तंतु बच्चा ही जोड़ देता है।
क्या कभी आपने यह सोचा है कि  इतना छोटा बच्चा जब हमें देखता है तो क्या सोचता है? बच्चा अपने अनुभव और बुद्धि के आधार पर हमारे चेहरे की तलाशी इस तरह लेता है-
1.क्या हम उसके अब तक देखे किसी चेहरे से मेल खाते हैं?
2.क्या हम उसकी यथास्थिति[ गोद में होना, ज़मीन पर बैठे होना, धूप-छाँव या गर्मी आदि] को बदलने में किसी तरह सहायक हो सकते हैं?
3.क्या हम विश्वसनीय हैं?
4.उसके लिए  सबसे कम्फर्टेबल लोगों के प्रति हमारा रवैया कैसा है?
5.उसकी बेसिक चीज़ों के लिए हम कितने मददगार हैं?
6.क्या हमारे पास उसे कोई नया अनुभव कराने के लिए कोई कार्य-योजना है?
7.संभावित भय के चिन्ह क्या हमारे चेहरे में खोजे जा सकते हैं?
शायद आपको पता हो, इन्हीं आधारों पर सौन्दर्य प्रतियोगिताओं  में एक सेक्शन यह भी होता है, जब प्रतियोगियों को छोटे शिशुओं से मिला कर उनकी प्रतिक्रिया देखी जाती है। वे अपनी प्रतिक्रिया से प्रतियोगी के "यूनीक" होने को तलाशने में मददगार होते हैं।

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