Tuesday, October 9, 2012

नियमानुसार काम माने हड़ताल

   यह अवधारणा बैंकों की है। वहां एक ख़ास किस्म की हड़ताल होती है, जिसे "वर्क टू  रूल"  कहते हैं। इसका अर्थ है नियमानुसार काम ! सुनने में अटपटा लग सकता है। लेकिन यह सच है कि  इस "हड़ताल" में कर्मचारी आते हैं, और बाकायदा सीट पर बैठ कर नियमों के अनुसार कार्य करते हैं। और सबसे मजेदार बात यह है कि  पब्लिक रो देती है। इसका मतलब सीधा-सीधा यह हुआ कि  "नियम" बेतुके हैं। यह केवल परिहास की बात नहीं है, वास्तव में इसका कारण  है हमारे देश की जनसँख्या। हम हर जगह संख्या-बल में इतने अधिक हैं कि  आसानी से हमारी दाल कभी नहीं गलती।  कर्मचारी आपके नोट गिनते समय नियम पालन करेगा। अर्थात वह एक-एक नोट को इस तरह चैक करके लेगा कि  दिन भर में दस प्रतिशत लोगों के पैसे ही जमा कर सके।क्योंकि यदि कोई नकली नोट आ जाता है तो यह उसकी ज़िम्मेदारी होगी।
   यदि किसी सिटी बस में कोई ज़िम्मेदार कंडेक्टर यह कहे कि  वह नियमानुसार केवल उतनी ही सवारियां ले जाएगा जितनी सीटें हैं, तो हाहाकार मच जायेगा, क्योंकि जितनी सवारियां बस में बैठी हैं, उतनी ही बाहर खड़ी रह जाएँगी।
   एक कहावत है कि  "कुछ तो गुड़  ढीला, और कुछ बनिया ढीला", तात्पर्य यह कि  सरकार भी आयोजना करते समय सौ लोगों के लिए पचास पत्तल ही लगवाती है, ताकि तरह-तरह से लुत्फ़ उठाया जा सके। कभी अपनों-अपनों को रेवड़ी बांटने का मज़ा लिया जा सके तो कभी काला-बाजारी के रास्ते खुले रहें।

2 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा |यह सब होते हुए तो हम सबने देखा है पर आपने उसे शब्दों में बयां कर दिए...वाह..!

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हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...