प्रकृति निर्बल के धैर्य की परीक्षा लेती है, और समर्थ की ताकत की। पिछले कुछ समय से नैसर्गिक कहर अमेरिका का रुख किये हुए है। कुछ न कुछ आपदा वहां मंडराती ही रहती है। आज के अखबार और न्यूज़ चैनल्स फिर एक भीषण तूफ़ान की कहानी लिए हुए हैं। वैचारिक उत्तर-आधुनिकता का यह शायद भौतिक स्वरुप है। इस संकट की घड़ी में किसी के हाथ में शुभ-भावनाओं की अभिव्यक्ति के सिवा और कुछ है भी नहीं, लेकिन यदि शुभकामनाओं के अस्तित्व में ज़रा भी सचाई है, तो दुनिया भर के करोड़ों लोगों की भावनाएं इस संकट में फंसे अमेरिकी मित्रों की मन के अंतिम छोर तक से सहायता करेंगी। इस संकट से भी यह महादेश अपने सामर्थ्य को और प्रामाणिक बना कर निकलेगा।
जल्दी ही इस आपदा की भरपाई हो, और अमेरिका अपने राष्ट्रनेता के चयन को नया जामा पहनाये।
जल्दी ही इस आपदा की भरपाई हो, और अमेरिका अपने राष्ट्रनेता के चयन को नया जामा पहनाये।
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