प्राचीन काल में हमारे राजा-महाराजा ऊंचे-ऊचे पहाड़ों पर बने अभेद्य दुर्गों में रहा करते थे। कहा जाता है कि वे सुरक्षा, अहंकार, गोपनीयता आदि के कारणों से ऐसा करते थे। दिलचस्प बात यह थी कि वे तो अपनी प्रजा को सुरक्षा मुहैय्या करा देते थे, पर उन्हें सुरक्षा की गारंटी कौन दे, इसलिए वे खुद ही दुर्गम स्थानों पर भारी लाव-लश्कर लेकर अजेय दुर्गों में रहा करते थे।
समय के साथ वे दिन लद चुके, अब तो लोकतंत्र है। इसमें कोई किसी से नहीं डरता।शुभ्र-धवल खादी के कोमल परिधान पहन कर मौजूदा सत्ताधीश जनता के बीच "रोड शो"करते हैं। देश में कानून है, अदालत है, न्यायाधीश हैं, अधिवक्ता हैं, पुलिस है, प्रशासन है, अब भला किसको किसका भय। कोई कहीं जाए, कोई कहीं से आये।
बस, केजरीवाल फर्रूखाबाद न जाएँ, वर्ना "कानून मंत्री" उन्हें "देख लेंगे"!
समय के साथ वे दिन लद चुके, अब तो लोकतंत्र है। इसमें कोई किसी से नहीं डरता।शुभ्र-धवल खादी के कोमल परिधान पहन कर मौजूदा सत्ताधीश जनता के बीच "रोड शो"करते हैं। देश में कानून है, अदालत है, न्यायाधीश हैं, अधिवक्ता हैं, पुलिस है, प्रशासन है, अब भला किसको किसका भय। कोई कहीं जाए, कोई कहीं से आये।
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