यह कहावत बहुत प्रचलित है कि दुनिया में एक न एक दिन पानी के लिए भी युद्ध होगा। युद्धों को लेकर कुछ अति-उत्साहित लोग तो यहाँ तक कह देते हैं, कि तीसरा विश्व युद्ध ही पानी के लिए होगा। ऐसे योद्धा-तबीयत लोगों के मानस की यह गर्मी बनी रहे, किन्तु ईश्वर करे कि पानी कहीं न बीते।
इधर कुछ दिनों से एक नयी ज़मात भी उभरी है जो कहती है कि तीसरा विश्व-युद्ध शहरों में सड़कों पर वाहनों की अधिकता को लेकर होगा। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में चर्चा के दौरान एक सज्जन कह रहे थे कि अगला विश्व-युद्ध महिलाओं की दयनीय होती जाती स्थिति को लेकर होगा। उन्हें तत्काल ही एक अन्य सज्जन ने अपडेट कराया, यह कह कर कि विश्व-युद्ध हुआ तो वह महिलाओं की बढ़ती ताकत की वजह से होगा। वहां श्रोताओं में भी "बयानाव" होने लगा।
एक मिनट, इस बयानाव शब्द से तो आपको कोई असुविधा नहीं हो रही? यह बिलकुल आसान, 'पथराव' जैसा शब्द है। इसका तात्पर्य यह है कि वहां एक दूसरे पर बयान फेंके जाने लगे। और फिर देखते-देखते वहां एक अन्य ज़मात भी पुरानी उम्र की नयी फसल की भांति उग आई। उसका कहना था कि विश्व-युद्ध अगर अब हुआ, तो केवल 'भाषा' के लिए होगा। उनकी बात कोई आसानी से काट भी न पाया, क्योंकि वे अभी ताज़ा-ताज़ा जोहान्सबर्ग से लौटे थे।
इधर कुछ दिनों से एक नयी ज़मात भी उभरी है जो कहती है कि तीसरा विश्व-युद्ध शहरों में सड़कों पर वाहनों की अधिकता को लेकर होगा। पिछले दिनों एक कार्यक्रम में चर्चा के दौरान एक सज्जन कह रहे थे कि अगला विश्व-युद्ध महिलाओं की दयनीय होती जाती स्थिति को लेकर होगा। उन्हें तत्काल ही एक अन्य सज्जन ने अपडेट कराया, यह कह कर कि विश्व-युद्ध हुआ तो वह महिलाओं की बढ़ती ताकत की वजह से होगा। वहां श्रोताओं में भी "बयानाव" होने लगा।
एक मिनट, इस बयानाव शब्द से तो आपको कोई असुविधा नहीं हो रही? यह बिलकुल आसान, 'पथराव' जैसा शब्द है। इसका तात्पर्य यह है कि वहां एक दूसरे पर बयान फेंके जाने लगे। और फिर देखते-देखते वहां एक अन्य ज़मात भी पुरानी उम्र की नयी फसल की भांति उग आई। उसका कहना था कि विश्व-युद्ध अगर अब हुआ, तो केवल 'भाषा' के लिए होगा। उनकी बात कोई आसानी से काट भी न पाया, क्योंकि वे अभी ताज़ा-ताज़ा जोहान्सबर्ग से लौटे थे।
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