Tuesday, March 6, 2012

"सूखी धूप में भीगा रजतपट" बाद में, पहले माया की सत्ता और सत्ता की माया -होली मुबारक!

पांच राज्यों के चुनाव परिणाम भी आ गए. जो लोग इसे लोकसभा का मिनी चुनाव कह रहे थे, उन्हें अब मैक्सी चुनावों का भूत तंग करेगा. लेकिन केवल कुछ दिन. क्योंकि भूत-प्रेत से अब कोई नहीं डरता. वैसे भी अपने कहे से पलटी खाने का मंत्र सब को आता है.रंग बदलना भी सब जानते हैं. तो बहस-मुबाहिसे में क्या उलझना, पहले रंगों का त्यौहार ही मनाएं. होली आप सब को मुबारक!
रशिया में राष्ट्रपति पुतिन की कामयाबी भी दिलचस्प है. अटकलों का क्या, उनका तो काम ही है, बाज़ार को गर्म करना.
रायबरेली और अमेठी के लोगों को क्या हो गया? शायद होली के मूड और गफलत में भंग की तरंग का असर हो.
कल से कुछ दिन होली की छुट्टी 'कहना पड़ता है' को भी चाहिए. लौटते ही आपके लिए प्रस्तुत करूंगा अपना नया उपन्यास -" सूखी धूप में भीगा रजतपट"  



No comments:

Post a Comment

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...