शायद वह दिन उस परिवार के लिए अचंभों का दिन था. नन्ही बिटिया ने जैसे ही फलों के उस डिब्बे को हाथ लगाया, डिब्बा अचानक जलने लगा. पहले कुछ चिंगारियां निकलीं, फिर उसमें से लपटें निकलने लगीं. लड़की के पिता ने दौड़ कर वेटर को बुलाने वाला इमरजेंसी कॉल स्विच दबाया और बेटी को हाथ के झटके से जलते हुए डिब्बे से दूर किया. लड़की के माता-पिता दोनों पसीने में नहा गए.
झटके की आवाज़ के साथ कमरे का दरवाज़ा खुला और उसमें घुसे दोनों कर्मचारी मुस्तैदी से आग को बुझा कर मेज़ के इर्द-गिर्द आग लगने का कारण खोजने लगे.कोई कारण न पा कर वह एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे. जब वे बाहर निकलने को हुए, बच्चों के पिता ने उन्हें इशारे से ट्रॉली बाहर लेजाने को कहा.
कुछ देर की ऊहापोह के बाद बिना कुछ खाए-पिए परिवार सो तो गया पर माता-पिता, दोनों में से किसी की आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं था.न जाने रात के किस पहर में जाकर उन्हें नींद आई.
सुबह ज़ल्दी ही वे उठ गए. दोनों बच्चों को भी जगाया गया. पर दोनों बच्चों पर रात की घटनाओं का कोई असर नहीं था. वे आम दिनों की तरह उठे. यहाँ तक कि लड़के को तो अब ये याद भी नहीं था कि रात को क्या हुआ. माता-पिता ने याद दिलाना मुनासिब भी नहीं समझा और वे रोजाना की तरह तैयार होकर निकल गए. जो कुछ हुआ, वह रात के साथ ही बीत गया था. अब यदि कहीं उसके चिन्ह थे तो केवल माता-पिता की मानस-कुंडली में थे.
उस परिवार का आज वापस लौट कर जाने का कार्यक्रम था. वे अब कुछ घंटों की यात्रा करके एक अन्य मशहूर पर्यटन स्थल देखने जाने वाले थे.
वे जब यहाँ पहुंचे तो दोपहर लगभग बीतने को थी. चारों ओर से बेहद शांत दिखाई देने वाली इस जगह का नज़ारा किसी बड़े से होटल जैसा था. किन्तु इसमें दाखिल होते ही पता चला कि इस जगह पर भूमि के नीचे एक पूरा पाताल लोक मौजूद है.टिकट लेकर लिफ्ट से जब वे लोग नीचे पहुंचे, तो आँखों के साथ-साथ मन को भी ठंडक मिली. ज़मीन के नीचे बहुत प्राचीन प्राकृतिक गुफाएं थीं, जिनके तल में बर्फीला ठंडा पानी बह रहा था.इन गुफाओं में कुछ भी मानव-निर्मित नहीं था. पत्थरों और चट्टानों को ज़मीन के नीचे बहते पानी ने ही काट-काट कर इस सुरम्य स्थान को बनाया था. गुफाओं के इस अद्भुत गुंजलक में लकड़ी की छोटी-छोटी नौकाओं में बैठ कर दुनिया भर के पर्यटक घूमने का आनंद ले रहे थे. भारतीय परिवार भी यहाँ के आनंद में जैसे कल की अजीबो-गरीब घटनाओं को भुला बैठा था. यहाँ की चट्टानों में पत्थर पर पानी के प्रहार से बने एक से एक अद्भुत अजूबे फैले पड़े थे. नौकाओं को चलाने वाले स्थानीय युवक-युवतियां पर्यटकों के लिए गाइड का कार्य भी कर रहे थे.
यह परिवार जिस नौका में बैठा था, उसे एक लड़की चला रही थी. लड़की ने उन्हें काफी-कुछ बताया था. यात्रा पूरी होते ही जब वे नौका से उतरने लगे, तब लड़की ने दोनों बच्चों के गाल थपथपा कर उनका नाम भी पूछा था. उन्हें उतार कर लड़की दूसरे फेरे के पर्यटकों को नौका में बैठा कर फिर से गुफाओं में चली गई.
लिफ्ट में चढ़ कर जब वे ऊपर आये, तो लिफ्ट का दरवाज़ा खुलते ही दोनों बच्चे तेज़ी से बाहर निकले. सामने अचानक फिर उसी लड़की को देख कर वे दोनों उसी तरफ दौड़े, और उस से लिपट गए.लड़की जोर से चिल्लाई, और उन्हें झटकते हुए पीछे हटी. माता-पिता को कुछ भी समझ में नहीं आया, कि यह क्या हुआ...[जारी...]
No comments:
Post a Comment