Friday, March 30, 2012

सूखी धूप में भीगा रजतपट [ भाग 23 ]

     जिस समय दरवाज़े पर घंटी बजी, रस्बी किन्ज़ान के सर में पट्टी बाँध रही थी. टेप को एक ओर रख कर रस्बी ने ही दरवाज़ा खोला. और कोई समय होता तो वह ख़ुशी से उछल पड़ती, किन्तु इस समय उसके मन पर किन्ज़ान की चोट  का बोझ हावी था, वह कायदे से हंस भी न सकी. फिर भी उसके चेहरे की बदली रंगत भांप कर किन्ज़ान भी दरवाज़े की ओर देखने लगा. दरवाज़े पर एक बेहद ठिगना आदमी खड़ा था जो अपनी लम्बी दाढ़ी की वज़ह से कोई मुस्लिम मालूम होता था. उसने रस्बी से कुछ कहा, फिर किन्ज़ान की ताज़ा चोट को गौर से  देखता हुआ वापस लौटने लगा. रस्बी ने इशारे से किन्ज़ान को भी दरवाज़े  पर बुलाया.
     दरअसल रस्बी ने पिछले दिनों एक घोड़ा खरीदने के लिए ऑर्डर दिया था, जिसकी जानकारी अभी तक किन्ज़ान को भी नहीं थी.अभी-अभी आया अजनबी घोड़ा लेकर आया था, जो उसने थोड़ी दूर पर एक पेड़ के नीचे बांध कर खड़ा किया था. किन्ज़ान हैरानी से उसे देखने लगा. रस्बी को ज़रा भी हैरानी नहीं थी, क्योंकि वह कुछ दिन पहले उस अजनबी से सवारी का प्रशिक्षण भी ले चुकी थी.
     रस्बी ने एक बार नज़दीक जाकर घोड़े को पुचकारा तो घोड़ा भी जैसे उसे पहचान गया, वह मुंह नीचे कर रस्बी की हथेली चाटने लगा.
     रस्बी चाहती थी की किन्ज़ान थोड़ी देर आराम करे, लेकिन किन्ज़ान रस्बी से थोड़ी देर में आने की बात कह कर निकल गया. रस्बी उसके जाने से मन में संतुष्ट ही हुई, क्योंकि इस से उसे यह आभास हो गया की किन्ज़ान की चोट बहुत गहरी नहीं है.वह हलके-फुल्के कदमों से घर में घुसी. अब उसे अपने और किन्ज़ान के साथ-साथ घोड़े के दाने-पानी का प्रबंध भी देखना था.
     दोपहर ढलने को आ गयी, लेकिन किन्ज़ान अब तक नहीं लौटा था. रस्बी ज्यादा चिंतित इसलिए नहीं थी, क्योंकि अब वह भली-भांति जानती थी कि वो इस वक्त कहाँ होगा.फिर भी, वह बिना कुछ खाए पिए गया था, और अब काफी समय हो गया था.
     जिस तरह घर में नया स्कूटर आने पर लड़के उसे चलाये बिना नहीं मानते, रस्बी का मन भी घुड़सवारी को ललचाया. मौका भी था, किन्ज़ान को बुला लाने का बहाना भी. हैट लगा कर रस्बी इधर-उधर देखती हुई पेड़ के करीब पहुंची.
     रस्बी ने नदी किनारे पहुँच कर दूर से ही देखा, जिस पेड़ पर किन्ज़ान और उसके दोस्त ने झंडा बांधा था, वह बहुत दूर से ही दिखाई दे रहा था. पीले और केसरिया रंग की बॉलनुमा नाव भी वहां मौजूद थी. किन्ज़ान के तीन-चार मित्र अर्नेस्ट के साथ वहां पहले से ही मौजूद थे. रस्बी दूर ही उतर कर खड़ी हो गयी, और छिप कर सारा नज़ारा देखने लगी.
     थोड़ी ही देर में दो महिलाएं एक कार से वहां पहुँचीं, और उतर कर नाव के समीप बढीं. उनमें से एक के हाथों में प्यारा सा ब्राज़ीलियन नस्ल का छोटा सा कुत्ता था. कुत्ते की आँखों पर काला चश्मा था और उसके गले में रेशमी स्कार्फ बांधा हुआ था. उस महिला ने किन्ज़ान  का हाथ अपने हाथ में लेकर चूमा...[जारी...]        

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