धुआं धार गिरते पानी के करीब से गुजरती सड़क से किन्ज़ान धीरे-धीरे जा रहा था, किन्तु उसके बाद नदी की ओर जाने वाली सड़क तक आते-आते उसकी चाल बहुत तेज़ हो गई. अब उसका पीछा करने के लिए रस्बी को लगभग दौड़ना ही पड़ रहा था. वह थोड़ी ही देर में हांफने लगी. उसका मन हुआ कि वह कोई टैक्सी लेले. पर एक तो उसे यह मालूम नहीं था कि किन्ज़ान कहाँ, और कितनी दूर जा रहा है, दूसरे वह इस विचार से भी थोड़ा हिचकिचा रही थी कि टैक्सी ड्रायवर उसे इतनी रात गए इस तरह एक युवक का पीछा करते देख न जाने क्या सोचे ?वह भी तब , जब इस ख़ुफ़िया उपक्रम में उसके आगे जाने वाला लड़का खुद उसका बेटा ही हो.
रस्बी ने टैक्सी का विचार छोड़ा और हिम्मत कर के अपनी चाल कुछ और बढ़ा दी.थोड़ी देर बाद रस्ते की गलियों से निकल कर एक और लड़का किन्ज़ान से आ मिला. रस्बी ने गहरे अँधेरे में भी अर्नेस्ट को पहचान लिया. रस्बी को यह जान कर थोड़ी राहत ही मिली कि आने वाला लड़का किन्ज़ान का दोस्त ही है.
उफनती नदी के किनारे-किनारे जाती सड़क आगे जाकर और सुनसान हो गई. छोटे-बड़े पेड़ों और झाड़ियों से सड़क के किनारे का इलाका किसी बाग़ और जंगल का मिला-जुला रूप दिखाई दे रहा था.
एक बड़े से घने फैले पेड़ के नीचे किन्ज़ान और अर्नेस्ट को ठहरते देख कर रस्बी ने राहत की सांस ली. पेड़ के नीचे घास-फूस और सूखे पत्तों के बीच से अर्नेस्ट ने खींच कर एक बड़ा सा लोहे का पाइप उठाया, तो रस्बी को अनुमान हो गया कि वे दोनों पहले भी यहाँ आ चुके हैं. थोड़ी ही देर में अर्नेस्ट ने जेब से निकाल कर एक रंगीन कपड़ा पाइप के सिरे पर बाँधा, और जब तक वह पाइप को सीधा करता, किसी बन्दर की भांति लपक कर किन्ज़ान पेड़ पर चढ़ चुका था.उसने पाइप के सिरे को पेड़ की एक बहुत ऊंची डाली से बाँधने के लिए ऊपर खींचा. दूर से देखती रस्बी हैरान थी. उसने किन्ज़ान को इस तरह ऊंचे पेड़ पर चढ़ते पहले कभी नहीं देखा था.
देखते-देखते अमेरिका का राष्ट्रीय ध्वज हवा में ऊंचा लहराने लगा. रस्बी ने रूमाल से अँधेरे में ही अपनी आँखों से आंसू पौंछे. अब उससे ज्यादा देर वहां खड़ा नहीं रहा गया. वह किसी भी सूरत में किन्ज़ान को यह भी पता नहीं लगने देना चाहती थी, कि उसके पीछे-पीछे चोरों की तरह वह भी चली आई है.
वह झटपट पलट कर लौटने लगी. वैसे भी उसका मकसद पूरा हो गया था. उसने वह जगह देख ली थी, जहाँ से किन्ज़ान अपनी खौफ़नाक ज़ुनूनी यात्रा शुरू करने वाला था.
इस जगह से नदी टेढ़े-मेढ़े रास्ते तय करती हुई लगभग साढ़े-पांच किलोमीटर के फासले के बाद अलौकिक, विशालकाय,अविश्वसनीय "नायग्रा फाल्स' के रूप में गिरती थी. बेहद चौड़े पाट की नदी के उस पार अमेरिका की सीमा थी, और कनाडा का आरम्भ होता था. जगमगाते रौशनी के ब्लॉक्स की शक्ल में इस पार और उस पार के दोनों शहर बेहद खूबसूरत दिखाई देते थे.बीच में था यह बियाबान जंगल.
रस्बी के जाने के बाद दोनों मित्रों ने अपने साथ लाये हुए कुछ पोस्टर्स भी पेड़ों पर यहाँ-वहां चिपकाए.
अर्नेस्ट ने जेब से निकाल कर छोटी टॉर्च पानी में डाली, शायद उसे इमली के आकार वाली केसरिया रंग की वह मछली फिर कहीं दिखी थी...[जारी...]
रस्बी ने टैक्सी का विचार छोड़ा और हिम्मत कर के अपनी चाल कुछ और बढ़ा दी.थोड़ी देर बाद रस्ते की गलियों से निकल कर एक और लड़का किन्ज़ान से आ मिला. रस्बी ने गहरे अँधेरे में भी अर्नेस्ट को पहचान लिया. रस्बी को यह जान कर थोड़ी राहत ही मिली कि आने वाला लड़का किन्ज़ान का दोस्त ही है.
उफनती नदी के किनारे-किनारे जाती सड़क आगे जाकर और सुनसान हो गई. छोटे-बड़े पेड़ों और झाड़ियों से सड़क के किनारे का इलाका किसी बाग़ और जंगल का मिला-जुला रूप दिखाई दे रहा था.
एक बड़े से घने फैले पेड़ के नीचे किन्ज़ान और अर्नेस्ट को ठहरते देख कर रस्बी ने राहत की सांस ली. पेड़ के नीचे घास-फूस और सूखे पत्तों के बीच से अर्नेस्ट ने खींच कर एक बड़ा सा लोहे का पाइप उठाया, तो रस्बी को अनुमान हो गया कि वे दोनों पहले भी यहाँ आ चुके हैं. थोड़ी ही देर में अर्नेस्ट ने जेब से निकाल कर एक रंगीन कपड़ा पाइप के सिरे पर बाँधा, और जब तक वह पाइप को सीधा करता, किसी बन्दर की भांति लपक कर किन्ज़ान पेड़ पर चढ़ चुका था.उसने पाइप के सिरे को पेड़ की एक बहुत ऊंची डाली से बाँधने के लिए ऊपर खींचा. दूर से देखती रस्बी हैरान थी. उसने किन्ज़ान को इस तरह ऊंचे पेड़ पर चढ़ते पहले कभी नहीं देखा था.
देखते-देखते अमेरिका का राष्ट्रीय ध्वज हवा में ऊंचा लहराने लगा. रस्बी ने रूमाल से अँधेरे में ही अपनी आँखों से आंसू पौंछे. अब उससे ज्यादा देर वहां खड़ा नहीं रहा गया. वह किसी भी सूरत में किन्ज़ान को यह भी पता नहीं लगने देना चाहती थी, कि उसके पीछे-पीछे चोरों की तरह वह भी चली आई है.
वह झटपट पलट कर लौटने लगी. वैसे भी उसका मकसद पूरा हो गया था. उसने वह जगह देख ली थी, जहाँ से किन्ज़ान अपनी खौफ़नाक ज़ुनूनी यात्रा शुरू करने वाला था.
इस जगह से नदी टेढ़े-मेढ़े रास्ते तय करती हुई लगभग साढ़े-पांच किलोमीटर के फासले के बाद अलौकिक, विशालकाय,अविश्वसनीय "नायग्रा फाल्स' के रूप में गिरती थी. बेहद चौड़े पाट की नदी के उस पार अमेरिका की सीमा थी, और कनाडा का आरम्भ होता था. जगमगाते रौशनी के ब्लॉक्स की शक्ल में इस पार और उस पार के दोनों शहर बेहद खूबसूरत दिखाई देते थे.बीच में था यह बियाबान जंगल.
रस्बी के जाने के बाद दोनों मित्रों ने अपने साथ लाये हुए कुछ पोस्टर्स भी पेड़ों पर यहाँ-वहां चिपकाए.
अर्नेस्ट ने जेब से निकाल कर छोटी टॉर्च पानी में डाली, शायद उसे इमली के आकार वाली केसरिया रंग की वह मछली फिर कहीं दिखी थी...[जारी...]
No comments:
Post a Comment