सरकार के पास दो प्यारे दुश्मन हैं। वैसे दुष्ट दोस्तों की भी कमी नहीं है।संसद में एफ़ डी आई पर मतदान हो गया। नतीजा- ढाक के तीन पात।
हमें यह वरदान प्राप्त है कि हमारे यहाँ कभी कुछ नहीं हो पायेगा। क्योंकि जब कुछ होगा तो मंच पर वे गवैये आ जायेंगे, जिनके पास सुर न हों। और जब कुछ न होगा तो वे सुर आलाप लेंगे, जो होनी को अनहोनी करदें, अनहोनी को होनी।
सरकार आम आदमी को तो वोट देने के लिए तरह-तरह से लुभा रही है। यहाँ तक कि 'कैश' की गाज़र भी खरगोश के सामने टांगने की बात हो गई। किन्तु देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर देश की सर्वोच्च संसद में लाइन में लगे वोटर भी सरकार खुद ही, खैर, जो भी हो, सलीम अनारकली के डायलॉग हमारे देश में कभी फीके नहीं पड़ेंगे। सवाल यह नहीं है कि वोट पक्ष में पड़ें या विपक्ष में, सवाल तो यह है कि 'वोटिंग' के समय देश के कई जिले मैदान से भाग जाएँ, और उन्हें कोई कुछ न कहे?
हमें यह वरदान प्राप्त है कि हमारे यहाँ कभी कुछ नहीं हो पायेगा। क्योंकि जब कुछ होगा तो मंच पर वे गवैये आ जायेंगे, जिनके पास सुर न हों। और जब कुछ न होगा तो वे सुर आलाप लेंगे, जो होनी को अनहोनी करदें, अनहोनी को होनी।
सरकार आम आदमी को तो वोट देने के लिए तरह-तरह से लुभा रही है। यहाँ तक कि 'कैश' की गाज़र भी खरगोश के सामने टांगने की बात हो गई। किन्तु देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर देश की सर्वोच्च संसद में लाइन में लगे वोटर भी सरकार खुद ही, खैर, जो भी हो, सलीम अनारकली के डायलॉग हमारे देश में कभी फीके नहीं पड़ेंगे। सवाल यह नहीं है कि वोट पक्ष में पड़ें या विपक्ष में, सवाल तो यह है कि 'वोटिंग' के समय देश के कई जिले मैदान से भाग जाएँ, और उन्हें कोई कुछ न कहे?
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