भानु अथैया ने "गांधी" फिल्म के परिधान आकल्पन के लिए 1983 में मिले ऑस्कर अवार्ड को वापस भेज दिया। उन्होंने जो कहा, वह गंभीर है। वे कहती हैं कि हमारे देश में आज के दौर में इन चीज़ों का कोई मोल नहीं है। ये चीज़ें यहाँ सुरक्षित भी नहीं हैं।
भानु की उम्र 85 वर्ष है। उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया है। उन्होंने वर्षों तक अनेक फिल्मों में नामी-गिरामी सितारों को लिबास पहनाये। किसी बात को लेकर उनकी बेचैनी से हालात का लिबास उतर जाना लाजिमी है। लोग सोच रहे हैं कि ऐसा कहकर, और करके, क्या उन्होंने देश का वह सम्मान वापस गिरा दिया है, जो 1983 में उन्होंने देश को दिलाया था?
नहीं, उन्होंने केवल उस आलमारी को साफ़ किया है, जिसमें समय की धूल जम गई थी। उस ट्रॉफी की भी डस्टिंग की है। उसे बेश- कीमती जान, लॉकर में रखने के मकसद से बाहर भेज दिया है।उनकी टिप्पणी उनकी उम्र और कैरियर की थकान का तकाजा है। मछुआरे जाल ऐसे ही समेटते हैं। जिन लोगों ने उनकी कला का अपने दौर में आनंद लिया है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, कि उनकी ट्रॉफी भारत में रखी है, या अमेरिका में। उनकी कला, क्षमता और योग्यता का रेखांकन हो चुका है।
भानु की उम्र 85 वर्ष है। उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया है। उन्होंने वर्षों तक अनेक फिल्मों में नामी-गिरामी सितारों को लिबास पहनाये। किसी बात को लेकर उनकी बेचैनी से हालात का लिबास उतर जाना लाजिमी है। लोग सोच रहे हैं कि ऐसा कहकर, और करके, क्या उन्होंने देश का वह सम्मान वापस गिरा दिया है, जो 1983 में उन्होंने देश को दिलाया था?
नहीं, उन्होंने केवल उस आलमारी को साफ़ किया है, जिसमें समय की धूल जम गई थी। उस ट्रॉफी की भी डस्टिंग की है। उसे बेश- कीमती जान, लॉकर में रखने के मकसद से बाहर भेज दिया है।उनकी टिप्पणी उनकी उम्र और कैरियर की थकान का तकाजा है। मछुआरे जाल ऐसे ही समेटते हैं। जिन लोगों ने उनकी कला का अपने दौर में आनंद लिया है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, कि उनकी ट्रॉफी भारत में रखी है, या अमेरिका में। उनकी कला, क्षमता और योग्यता का रेखांकन हो चुका है।
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