Monday, December 3, 2012

छाँट लीजिये अपने दोस्तों को

बहुत सारे लोग हैं दुनियां में। अब सबको तो हम दोस्त बना नहीं सकते। लेकिन फिर भी कुछ दोस्त तो चुन  लीजिये। दोस्त तो काम ही आते हैं।वैसे जिगरी दोस्त तो सबका एक ही होता है, पर आज के ज़माने में दो-  चार दोस्त होना बढ़िया होता है। 
चलिए सबसे पहले हम अपने बारह अच्छे मित्रों में से एक चुनते हैं। पहली लड़की है, ज़रा लम्बी सी,लेकिन बेहद ठन्डे स्वभाव की।दूसरी बहुत छोटी, लेकिन यह मत समझिये कि  वह हमेशा एक सी ही रहती है।  तीसरा लड़का है। बहुत खुशमिजाज़। चौथा भी लड़का ही है, लेकिन कुछ गरम स्वभाव का, लेकिन तीसरे से ज़रा छोटा। पांचवी और छठी लड़कियां हैं। लेकिन लड़कियां क्या हैं, बला हैं, इतने गरम दिमाग की, कि माथा घूम ही जाय। हाँ,सातवीं ज़रा अच्छे स्वभाव की है, कुछ भीगी-भीगी सी, लम्बी । फिर आठवां,नवां,दसवां,ग्यारहवां और बारहवां, सब लड़के। वैसे चाहें तो दोस्ती करें, पर ग्यारहवां और बारहवां हैं तो ठन्डे ही। आठवां और दसवां ज़रा लम्बा पर नवां कुछ छोटा सा।
अब बताइये, इनमें से किसे अपना मित्र चुनेंगे?
यदि आपने डिसीज़न ले लिया तो ठीक। पर यदि अभी तक उधेड़-बुन में पड़े हैं तो थोड़ी जानकारी और दे देते हैं।
बच्चों को तो पांचवीं और छठी ही सबसे ज्यादा भाती हैं। गाँव के किसानों से पूछेंगे तो वे सातवीं, और आठवें-नवें का नाम लेंगे। नेताओं से मत पूछियेगा, वरना पहली और आठवें की तारीफ़ के पुल बाँधने लगेंगे, क्योंकि ये दोनों ही उनकी दूकान सबसे ज्यादा चमकाते हैं न ?
यदि अब भी नहीं चुन पाए, तो थोड़े दिन और ठहर जाइए। एक-एक करके लाइन से फिर सब आपके सामने आ खड़े होंगे।
ऐसा लगता है कि  आप दुविधा में हैं, शायद आप इनके नाम जानना चाहते हैं। छोड़िये, नाम में क्या रखा है?नाम तो कुछ भी हो सकता है ...जनवरी,फ़रवरी, मार्च ...  

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