Wednesday, December 12, 2012

क्या आप 31 दिसंबर 2012 की रात को 10 बजे मुझे एक मिनट का समय देंगे?

एकलव्य द्रोणाचार्य के पास गया। बोला-"मुझे आपसे तीरंदाजी सीखनी है।"
द्रोणाचार्य ने कहा-"तुम जानते हो, कि  मैं राजपुत्रों को यह विद्या सिखाता हूँ।"
एकलव्य को एकाएक गुरुदेव का तात्पर्य समझ में नहीं आया। उसने मन ही मन कई अनुमान लगाए-
1.गुरुदेव राजपुत्रों के शिक्षक हैं, अतः राजा से आज्ञा लिए बिना अपनी विद्या और किसी को नहीं दे सकते।
2.गुरुदेव की गुरुदक्षिणा बहुत अधिक होगी, जो मेरा जैसा विपन्न आदिवासी  दे नहीं सकेगा।
3.गुरुदेव के आवास पर मेरा प्रवेश वर्जित होगा, मेरे आवास पर गुरुदेव आ नहीं सकेंगे।
4.गुरुदेव राजकुमारों को श्रेष्ठ धनुर्धर बनाने के लिए वचन-बद्ध हैं, अतः मुझे आगाह करना चाहते हैं कि  मुझे उनसे कम ज्ञानी बने रहना होगा।
5.वे व्यस्त हैं, अतः मुझे समय नहीं दे सकेंगे।
कारण जो भी रहा हो,एकलव्य की बात द्रोणाचार्य के साथ नहीं बनीं।
क्या आप बता सकते हैं,कि इनमें से क्या कारण रहा होगा?
यदि बता सकते हैं, तो बता दीजिये। एकलव्य और द्रोणाचार्य तो अब नहीं हैं,इसलिए वास्तविक कारण क्या रहा होगा, कहना मुश्किल है।मुझे तो केवल आपका अनुमान चाहिए!
यदि आपका 'अनुमान' मेरे अनुमान से मेल खा गया, तो मैं 31 दिसंबर 2012 को रात ठीक10 बजे आपको बता दूंगा, और नए वर्ष का अपना पहला ब्लॉग आपको समर्पित करूंगा।         

6 comments:

  1. आपका यह पोस्ट अच्छा लगा। मेरे नए पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। धन्यवाद।

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  2. Dhanyawaad, aapki post par main abhi hazir hua.

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा 14/12/12,कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका हार्दिक स्वागत है

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  4. 4 हल्का है 2 न केवल असत्य है बल्कि विलोम भी है विप्रवर गुरुदक्षिणा लेते हुए भी ज्ञान/करेक्षन ही देता हैं, लेते कुछ नहीं - दूध घी का खाणा वाले व्रज-कुरुक्षेत्र राज्य में यदि उनके मासूम बेटे को पानी में आटा घोलकर पीने पर समृद्ध साथियों के मज़ाक का शिकार न बनना पड़ता तो शायद जय संहिता की दिशा दूसरी ही होती। खैर, आए उत्तरों का और आपके विचार जानने का इंतज़ार है| एकलावय की गुरुदक्षिणा के बारे में अदरणीया डॉ अजित गुप्ता जी के विचार भी जानें तो इस विषय में कई छिपी बातें सामने आ जाएंगी। शुभमस्तु!

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  5. कृपया मेरी टिप्पणियों को स्पैम मे से निकाल लीजिये - इस पोस्ट वाली एक शायद काम की हो।

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