व्रत माने उपवास। व्रत में भोजन नहीं किया जाता। जितने समय के लिए व्रत करना हो, उतने समय तक कुछ नहीं खा सकते। कोई-कोई व्रत तो ऐसा होता है जिसमें पानी भी नहीं पिया जाता।
कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने व्रत किया हो,उसे भोजन करना तो दूर, बल्कि भोजन देखना भी नहीं चाहिए। यदि भोजन की खुशबू आ जाय, तब भी व्रत में व्यवधान पड़ता है। कई धर्म-परायण लोग तो ऐसे व्यक्ति के सामने भोजन की बात करना भी अनुचित मानते हैं, जिसने व्रत किया हो।कहते हैं कि व्रत के दौरान यदि भोजन को याद करके उसका काल्पनिक स्वाद भी जिव्हा पर आ जाय तो व्रत सफल नहीं माना जाता।
व्रत को खोलने के भी विभिन्न तरीके हैं। कोई व्रत सूरज ढलने के बाद समाप्त कर दिया जाता है। किसी-किसी में तारे उगने की प्रतीक्षा की जाती है। किसी व्रत में चाँद उगने के बाद उसे देख कर भोजन किया जाता है। यहाँ तक कि कोई व्रत तो आधी रात तक चलता है। बारह बज जाने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है।
भारतीय महिलाओं में करवा चौथ जैसा व्रत बहुत लोकप्रिय है, जिसमें चन्द्रमा को देख कर, अर्ध्य लगा कर फिर भोजन किया जाता है।
राजनैतिक व्रत अपनी मांग पूरी न होने तक किये जाते हैं। इनके समाप्त होने की विधियाँ भी अलग-अलग हैं।किसी-किसी में विपक्ष द्वारा व्रत करने वाले पर हमला करके व्रत तुड़वा दिया जाता है। किसी में सत्ता पक्ष चुपचाप आकर जबरन मौसमी का रस पिला जाता है। कोई-कोई व्रत मांग पूरी होने में देर होने, या मांग पूरी न हो पाने की आशंका होने के कारण स्वतः तोड़ दिए जाते हैं।
कभी अमेरिका के एक कदम से व्रत-महात्म्य कम हो गया था। जिस चाँद को देख कर सुहागिनें व्रत खोला करती थीं, उस पर अमेरिका के आर्मस्ट्रॉंग चहल-कदमी करके आ गए थे।
चाइना भी, किसी भी बात में अमेरिका से कम नहीं रहना चाहता। अब ऐसा लगता है, कि चाइना भी व्रतों की गंभीरता कम करके छोड़ेगा, कुछ समय बाद जब व्रत करने वाली सुहागिनें चाँद को अर्ध्य देंगी, तो चाइना के किसान वहां सब्जी उगाते हुए दिखेंगे। अब दिन भर की भूखी महिलायें जब ताज़ा सब्जी देखेंगी, तो भला मुंह में पानी आने से कैसे रोक पाएंगी? और हमारे पंडित ऐसे व्रत को तो कतई सफल नहीं मानेंगे, जिसमें मुंह में पानी आ जाये, और पति की लम्बी आयु की कामना के लिए सुबह से भूखी बैठी महिला को शाम-ढले "चाइनीज़"जेंटलमैन दिख जाए।
कहते हैं कि जिस व्यक्ति ने व्रत किया हो,उसे भोजन करना तो दूर, बल्कि भोजन देखना भी नहीं चाहिए। यदि भोजन की खुशबू आ जाय, तब भी व्रत में व्यवधान पड़ता है। कई धर्म-परायण लोग तो ऐसे व्यक्ति के सामने भोजन की बात करना भी अनुचित मानते हैं, जिसने व्रत किया हो।कहते हैं कि व्रत के दौरान यदि भोजन को याद करके उसका काल्पनिक स्वाद भी जिव्हा पर आ जाय तो व्रत सफल नहीं माना जाता।
व्रत को खोलने के भी विभिन्न तरीके हैं। कोई व्रत सूरज ढलने के बाद समाप्त कर दिया जाता है। किसी-किसी में तारे उगने की प्रतीक्षा की जाती है। किसी व्रत में चाँद उगने के बाद उसे देख कर भोजन किया जाता है। यहाँ तक कि कोई व्रत तो आधी रात तक चलता है। बारह बज जाने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण किया जाता है।
भारतीय महिलाओं में करवा चौथ जैसा व्रत बहुत लोकप्रिय है, जिसमें चन्द्रमा को देख कर, अर्ध्य लगा कर फिर भोजन किया जाता है।
राजनैतिक व्रत अपनी मांग पूरी न होने तक किये जाते हैं। इनके समाप्त होने की विधियाँ भी अलग-अलग हैं।किसी-किसी में विपक्ष द्वारा व्रत करने वाले पर हमला करके व्रत तुड़वा दिया जाता है। किसी में सत्ता पक्ष चुपचाप आकर जबरन मौसमी का रस पिला जाता है। कोई-कोई व्रत मांग पूरी होने में देर होने, या मांग पूरी न हो पाने की आशंका होने के कारण स्वतः तोड़ दिए जाते हैं।
कभी अमेरिका के एक कदम से व्रत-महात्म्य कम हो गया था। जिस चाँद को देख कर सुहागिनें व्रत खोला करती थीं, उस पर अमेरिका के आर्मस्ट्रॉंग चहल-कदमी करके आ गए थे।
चाइना भी, किसी भी बात में अमेरिका से कम नहीं रहना चाहता। अब ऐसा लगता है, कि चाइना भी व्रतों की गंभीरता कम करके छोड़ेगा, कुछ समय बाद जब व्रत करने वाली सुहागिनें चाँद को अर्ध्य देंगी, तो चाइना के किसान वहां सब्जी उगाते हुए दिखेंगे। अब दिन भर की भूखी महिलायें जब ताज़ा सब्जी देखेंगी, तो भला मुंह में पानी आने से कैसे रोक पाएंगी? और हमारे पंडित ऐसे व्रत को तो कतई सफल नहीं मानेंगे, जिसमें मुंह में पानी आ जाये, और पति की लम्बी आयु की कामना के लिए सुबह से भूखी बैठी महिला को शाम-ढले "चाइनीज़"जेंटलमैन दिख जाए।
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