जन्म के बाद बारह साल तक बच्चे, बच्चे ही रहते हैं, फिर हो जाते हैं-"टीन एज़र",माने किशोर। ये बारह साल इंसान को बहुत कुछ दे जाते हैं ..लेकिन साथ में ले भी बहुत कुछ जाते हैं। क्या ले जाते हैं, यह सुभद्रा कुमारी चौहान सबको बहुत पहले ही बता गई हैं। इन बारह सालों को हम फिर जीवन भर याद करते रहते हैं-
"बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त ख़ुशी मेरी"
बच्चा बारह क्लास पढ़ा, और स्कूल छूटा।आखिर कोई कैसे भूल सकता है बारह को?
तो मत भूलिए, इस याद को हमेशा के लिए अपने स्मृति-संग्रहालय में बसा लीजिये। क्योंकि यह घड़ी फिर अगले सौ साल तक नहीं आएगी। बारहवां दिन, बारहवां महीना और बारहवां साल। आज हमारे बीच देवानंद होते तो वे यही कहते कि यह घड़ी सौ साल पहले आई थी, आज भी है, और सौ साल बाद भी रहेगी। ऐसी आशा-वादिता को नमन। इतनी सकारात्मक सोच हम सब को भी मिले!
"लम्हा-लम्हा बूँद गिरी, जीवन के गहरे सागर में
कतरा-कतरा पानी लौट गया बादल के आँचल में"
"बार-बार आती है मुझको, मधुर याद बचपन तेरी
गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त ख़ुशी मेरी"
बच्चा बारह क्लास पढ़ा, और स्कूल छूटा।आखिर कोई कैसे भूल सकता है बारह को?
तो मत भूलिए, इस याद को हमेशा के लिए अपने स्मृति-संग्रहालय में बसा लीजिये। क्योंकि यह घड़ी फिर अगले सौ साल तक नहीं आएगी। बारहवां दिन, बारहवां महीना और बारहवां साल। आज हमारे बीच देवानंद होते तो वे यही कहते कि यह घड़ी सौ साल पहले आई थी, आज भी है, और सौ साल बाद भी रहेगी। ऐसी आशा-वादिता को नमन। इतनी सकारात्मक सोच हम सब को भी मिले!
"लम्हा-लम्हा बूँद गिरी, जीवन के गहरे सागर में
कतरा-कतरा पानी लौट गया बादल के आँचल में"
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