उनके बदन पर एक हलकी सी खरोंच भी देखने वालों को हिला देती है, बच्चे होते ही ऐसे हैं। वे अपने खेल में अपनी मर्ज़ी से, अपनी गलती से भी आहत हो जाते हैं तो उनके माँ -बाप अपने को अपराधी समझने लगते हैं।
आखिर क्या हुआ होगा, कैसे हुआ होगा, जब किसी इंसान के शरीर पर रखे ज़ख़्मी और दिवालिया 'दिमाग' ने उन पर अंधा-धुंध गोलियां बरसा दीं।
यह घटना एक ऐसा हादसा है, जिस पर न तो कुछ बोला जा सकता है, और न ही चुप्पी साध कर ही बैठा जा सकता है। इस घटना के बाद संसार-भर को यह खबर सुनाने वाले मीडिया कर्मियों के कैमरे का सामना करते समय दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर शख्स के आंसुओं में न जाने कितना दर्द रहा होगा, कितनी हताशा रही होगी, कितने तूफ़ान रहे होंगे?
क्या हमने आसमान से गिरती बर्फ से भी ठंडा, बादलों में कड़कती बिजली से भी ज्यादा नुकीला, दरिया के उमड़ते ज्वार से भी ज्यादा उद्दाम, और आग की लपटों से भी अधिक विध्वंसक, अब इंसानी दिमाग को बना लिया है?
क्या "समय" अपनी इस चाल पर कभी क्षमा मांगने योग्य भी रह सकेगा?
आखिर क्या हुआ होगा, कैसे हुआ होगा, जब किसी इंसान के शरीर पर रखे ज़ख़्मी और दिवालिया 'दिमाग' ने उन पर अंधा-धुंध गोलियां बरसा दीं।
यह घटना एक ऐसा हादसा है, जिस पर न तो कुछ बोला जा सकता है, और न ही चुप्पी साध कर ही बैठा जा सकता है। इस घटना के बाद संसार-भर को यह खबर सुनाने वाले मीडिया कर्मियों के कैमरे का सामना करते समय दुनिया के सबसे ताकतवर देश के सबसे ताकतवर शख्स के आंसुओं में न जाने कितना दर्द रहा होगा, कितनी हताशा रही होगी, कितने तूफ़ान रहे होंगे?
क्या हमने आसमान से गिरती बर्फ से भी ठंडा, बादलों में कड़कती बिजली से भी ज्यादा नुकीला, दरिया के उमड़ते ज्वार से भी ज्यादा उद्दाम, और आग की लपटों से भी अधिक विध्वंसक, अब इंसानी दिमाग को बना लिया है?
क्या "समय" अपनी इस चाल पर कभी क्षमा मांगने योग्य भी रह सकेगा?
बहुत दुखद घटना है. न जाने हम कहाँ जा रहे हैं.
ReplyDeleteKahin kisi band gali ke aakhiri makaan me to nahin?
ReplyDeleteदुख की पराकाष्ठा!
ReplyDeleteAapko kya kaaran lagta hai?
ReplyDeleteमनोरोगी सारी दुनिया मे होते हैं, लेकिन बंदूक इतनी सुलभ केवल अमेरिका में है। इस खतरनाक कमी को कानून की सहायता से यथाशीघ्र मिटाया जाना चाहिए।
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