Wednesday, October 5, 2011

तोकेलाऊ और तुवालू के कष्ट हमारे आने वाले दिनों का ट्रेलर हैं

छोटे से एलिस आइलैंड तुवालू का हौसला हमसे बहुत बड़ा है. जिस समय फुनाफुती में सागर का पानी बूँद-बूँद कर लोगों के घरों में भर रहा था, उस समय हमारी आँखों में चर्बी के नीचे  दब कर पानी  सूख रहा था. हमारे पास वक्त भी नहीं था कि हम चिंतित होने में उसे जाया करें.हमारे पास दूसरे काम थे.पश्चिम बंगाल से लेडीज़-संगीत का न्योता आया हुआ था. हमें फैसला करना था कि वहां शीला जी जाएँ या अम्बिका जी. आलाकमान को मालूम था, कि यदि वहां से कोई रिटर्न-गिफ्ट मिला तो शीला जी खुद रख लेंगी, लिहाज़ा अम्बिका जी पर भरोसा किया गया. 
न्यूज़ीलैंड, आस्ट्रेलिया और सामोआ इन द्वीपों के वाशिंदों को पीने का पानी, दवाएं और खाना गिरा रहे हैं. 
   "आसमान तू हमेशा रहना" 
   धरती पर तो इंसान बसते हैं 
   उससे कैसे कहा जाये- कि हमेशा रहना
   उसके अच्छे-बुरे दिनों के साथी,
   हर खुले हलक में तू ही डालना 
   पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी पानी 
   उसके आखिरी समय में...!  

2 comments:

  1. जब इंसान और इंसानियत का मूल्य समझा जाये तो हौसला तो आप ही आ जाता है। सुन्दर विचार-बिन्दु प्रस्तुत करने के लिये आभार!

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  2. dharti hawa, pani, tarangon aur vicharon se judi rahe to shayad prakrati ko bhi dakhal dene ka mauka n mile.

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