हमारे कुछ बड़े नेता इशारा कर रहे हैं कि सरकार सड़ गई है इसलिए अब दोबारा चुनाव हो. इससे सब ठीक हो जायेगा. फिर से नए बन कर सब आ जायेंगे, फिर से 'नव-निर्वाचित' सरकार की खुशबू फ़ैल जाएगी.
बचपन में जब हम लोग स्कूल में पढ़ते थे, हमारे शिक्षक साफ-सफाई पर काफी ध्यान देते थे. कुछ बच्चे बार-बार कहने के बाद भी गंदे आ जाते थे. कुछ खेलने-कूदने में गंदे हो जाते थे. मतलब यह, कि गंदगी कुछ लोगों की आदत ही थी.
हमारे शिक्षक समझदार थे. वे स्कूल का सत्र कैंसिल करके दोबारा सबके एडमीशन नहीं करते थे.बस, गंदे बच्चों को कह देते थे कि जाकर नहा कर आओ. बाक़ी सब को पढ़ाते रहते थे.
हम संसद भवन या राष्ट्रपति भवन के आस-पास "तिहाड़" जैसे कुछ और स्विमिंग-पूल क्यों नहीं बना लेते, जिनमें केवल "मैले" महात्मा नहा कर आ जाएँ. कम से कम बाकी देश तो चलता रहे.
सुन्दर प्तथा सार्थक पोस्ट , आभार
ReplyDeleteaapko yah vichar sarthak laga, dhanywad.
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