समय के साथ दुनिया एडवांस्ड हो रही थी. ईश्वर ने भी तय किया कि बच्चे को धरती पर जन्म देने से पहले यह बता दिया जाये, कि वह कहाँ, किस घर में जन्म ले रहा है. एक छोटे से परदे पर उसे उस घर की पूर्व झलक दिखाने की व्यवस्था भी कर दी गई. साथ ही यह सुविधा भी दी गई कि यदि परदे पर अपने संभावित घर को देख कर बच्चा वहां जन्म न लेना चाहे तो उसे इसका भी अवसर दिया जाये.
सिलसिला शुरू हो गया. पहले बच्चे ने देखा कि उसका होने वाला पिता तिजोरी में सोना-चांदी छिपा रहा है. बच्चा मायूस हो गया, बोला- इस आदमी को तो धन के लालच में कोई मार देगा. मुझे इस के यहाँ जन्म नहीं लेना.
दूसरे बच्चे ने देखा कि उसका होने वाला पिता सेना में अफसर है.वह बोला- सैनिक तो युद्ध में कभी भी मारा जा सकता है, शहीद का पुत्र कहलाना गर्व की बात है, फिर भी मैं अनाथ होकर नहीं जीना चाहता.
तीसरे बच्चे ने देखा कि उसके होने वाले पिता ने नई कार खरीदी है. वह एक बार तो खुश हो गया, पर फिर तुरंत बोला- पेट्रोल के दाम इतने हैं कि इनके पास तो मुझे पढ़ाने तक के पैसे नहीं बचेंगे, जन्म लेकर क्या करूंगा.
यह सब सुन कर ईश्वर के मन में चिंता जागी. वह सोच में ही था, कि चौथे बच्चे को उसका होने वाला घर दिखाया गया. उसने देखा कि उसका पिता कोई कातिल है, और अभी-अभी मर्डर करके ही घर लौटा है.
बच्चे ने उल्लास से कहा- मैं इसी घर में पैदा होना चाहता हूँ.
ईश्वर अचंभित हुआ. उसने बच्चे से पूछा- क्या तुम्हें इस बात का बिलकुल डर नहीं लगता कि तुम्हारे पिता को एक दिन फांसी हो जाएगी?
बच्चे ने कहा- फांसी से पहले मुकद्दमा चलेगा, उसका फैसला होने तक मेरे पिता दीर्घायु होंगे, उनकी हिफाज़त खुद क़ानून करेगा. और यदि फांसी की सजा सुनाई भी गई, तो उस पर अमल होने तक मेरी जिंदगी आराम से पूरी हो जाएगी.
ग्लोबलाइज़ेशन? ईश्वर को भी अपने क्रिया-कलाप में विविधता लाने के लिये अपना कार्यक्षेत्र भारत के बाहर तक फैलाना पड़ेगा।
ReplyDeleteji work distribution. filhal 'god' hai na.
ReplyDelete