Wednesday, May 14, 2014

कोई यूँही नहीं लिखे गये हैं शास्त्र

लोग समझते हैं कि धनदेवी लक्ष्मी उसका साथ देती हैं जो उनके पीछे भागता है। पर ऐसा नहीं है,वे तो उसका साथ ज्यादा देती हैं जो उनसे दूर भागता है।
राजस्थान के भूतपूर्व मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत को उनकी सादगी के कारण गाँधीवादी नेता कहा जाता है। कहते हैं, उन्हें धन से ज्यादा लगाव नहीं है।  यहाँ तक कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने सरकारी खज़ाना भी उदारता से बाँट दिया।  जनता को मुफ्त अन्न, बैठे-बैठे मजदूरी, तरह-तरह की पेंशन, मुफ्त दवाइयाँ और न जाने क्या-क्या मिला।
देवी लक्ष्मी से यह उदारता भला कैसे छिपी रहती?
अब खबर है कि उन्हें काँग्रेस का अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष बनाया जा रहा है। अर्थात सारा कोष उनके हवाले!         

8 comments:

  1. अब वहाँ बचा ही क्या होगा . सब लुट गया . अब उसके लुटाने के लिए बचा ही क्या है ?

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  2. लक्ष्मी पास हो तो सद्गुण और दुर्गुण दोनों साथ साथ चलते हैं बस यह इंसान के ऊपर है कि वह कैसे चलता है
    बहुत बढ़िया

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  3. Aasheeshji aur Kavitaji, aap donon ka shukriya.

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  4. कोषाध्यक्ष...............

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  5. बेहद उम्दा आलेख और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया (नई ऑडियो रिकार्डिंग)

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