Friday, May 16, 2014

आइये आपको "इलेक्शन कार्निवाल की शॉपिंग" दिखाएँ

दस बातें, जो इस सवा महीने चले चुनाव ने सिखा दीं-
१. कुछ लोग इस देश को ऐसे देखते हैं, जैसे ये उन्हें उनके दादा-नाना ने खरीद कर दिया हुआ खिलौना हो, जिसे वे किसी और को छूने भी नहीं देंगे।
२. विनम्रता का स्थान राजनीति में पूरी तरह अक्खड़ता ने ले लिया है।
३. "व्यंग्य" अब साहित्य में नहीं, केवल राजनीति में ही बचा है।
४. जिस मंच पर जितना प्रगतिशील बोर्ड लगा है, उस पर उतने ही जड़ मस्तिष्क के लोग काबिज़ हैं।
५. ठहरे पानी को साफ करने के लिए बहते पानी में बदलने की कोशिश करने पर आप "अवसरवादी" कहलाते हैं।
६. जो आपको पुरस्कार या सम्मान देता है, आपको उसकी ही मिल्कियत समझा जाता है।
७. "कथनी" करने के लिए नहीं होती।
८. अपनी हरकतें तब बुरी लगती हैं यदि आपको कोई आइना दिखा दे।
९. बैंगन न खाने की सलाह दूसरों के लिए है।
१०.रस्सी जल जाती है पर उसका बल नहीं जाता।
                  

3 comments:

  1. क्षुद्र क्षत्रपों और कांग्रेस की रस्‍सी अभी पूरी नहीं जली है।

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  2. राजनीति में सबकुछ संभव है.. जायज है
    बहुत सही

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शोध

आपको क्या लगता है? शोध शुरू करके उसे लगातार झटपट पूरी कर देने पर नतीजे ज़्यादा प्रामाणिक आते हैं या फिर उसे रुक- रुक कर बरसों तक चलाने पर ही...

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