Friday, May 23, 2014

मैं तो भूल ही गया था, उन्होंने ही याद दिलाया

कल घूमने  जाते समय कुछ बच्चे क्रिकेट खेलते हुए मिले।  वे बोले- "अंकल, हमारी छुट्टियाँ शुरू हो गयीं।"
मुझे एकाएक याद आया कि वे ऐसा क्यों कह रहे हैं।
दरअसल छुट्टियों में कुछ दिन के लिए मेरा ब्लॉग बच्चों को समर्पित हो जाता है।  वैसे भी पिछले दिनों थोड़ी एकरसता आ ही गयी थी।  अब नई सरकार को काम शुरू करने देते हैं। रोज़ाना की नुक्ता-चीनी से अच्छा है कि कुछ दिन बाद फ़िज़ा देखें।

"सुबह-सुबह जॉगिंग को निकली
डेयरी से ले आई दूध
बिल्ली ने फिर खीर बनाई
चीनी डाली उसमें खूब

गरम-गरम खाने बैठी थी
छत पर आया मंकी एक
बोला- छत पर बड़ी हवा है
करके ला दूँ ठण्डी प्लेट?"      

No comments:

Post a Comment

शोध

आपको क्या लगता है? शोध शुरू करके उसे लगातार झटपट पूरी कर देने पर नतीजे ज़्यादा प्रामाणिक आते हैं या फिर उसे रुक- रुक कर बरसों तक चलाने पर ही...

Lokpriy ...