Thursday, May 8, 2014

सबको कुर्सी नहीं चाहिए

भारतीय चुनावी परिद्रश्य देख कर कहा जा  रहा है कि यह घमासान "कुर्सी" के लिए है। लेकिन कुर्सी सबकी हसरत नहीं होती , क्योंकि कुर्सी जिम्मेदारी है, कुर्सी क्षमता है, कुर्सी जवाबदेही है।
अधिकांश उम्मीदवारों के पास न ये क्षमता है, न ये भावना।
यहाँ जिसे जो चाहिए, वह मिल जायेगा।  आइये देखें, किसे क्या चाहिए-
-कुछ लोग केवल इसलिए मैदान में हैँ कि इस उठने-बैठने से उन्हें कुछ पैसा मिल जाये।
-कुछ लोग इसलिए हैं कि उन्होंने कमा-कमा कर जो ढेर लगा लिया  है वह काम आ जाए।
-कुछ लोग इसलिए ताल ठोक रहे हैँ कि दूसरा कुर्सी पर बैठ कर काम करे, और हम उसपर छींटाकशी-नुक्ताचीनी करें।
-कुछ लोग चाहते हैं कि काम करने वाला मिल जाय, हम केवल "ताज" संभालें।
-कुछ इसलिए भी हैं कि मीडिया की सुर्खियों में थोड़े दिन आनंद लिया जाय।
-निस्संदेह,कुछ इसलिए हैं कि देश को जिस दिशा में ले जाना चाहते हैं उसके लिये सामर्थ्य मिले।              

2 comments:

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...