मुर्ग़े मोर बतख ने मिलकर
कर डाली एक मीटिंग
'ऊंची नहीं उड़ान हमारी
ये कुदरत की चीटिंग'
आसमान से एक परिंदा
बोला तभी झांक कर
'चीटिंग' इसे न कहना मित्रो
देखो ज़रा आँक कर
जो जितना ऊपर जाता है
रहता निपट अकेला
नीचे वालों के संग होता
ये दुनिया का मेला
नाचे मोर सदा जंगल में
नभ में कैसे नाचे ?
कुकड़ू कूँ मुर्गे की सुनकर
सारी बस्ती जागे।
कर डाली एक मीटिंग
'ऊंची नहीं उड़ान हमारी
ये कुदरत की चीटिंग'
आसमान से एक परिंदा
बोला तभी झांक कर
'चीटिंग' इसे न कहना मित्रो
देखो ज़रा आँक कर
जो जितना ऊपर जाता है
रहता निपट अकेला
नीचे वालों के संग होता
ये दुनिया का मेला
नाचे मोर सदा जंगल में
नभ में कैसे नाचे ?
कुकड़ू कूँ मुर्गे की सुनकर
सारी बस्ती जागे।
जो जितना ऊपर जाता है
ReplyDeleteरहता निपट अकेला
नीचे वालों के संग होता
ये दुनिया का मेला
बिलकुल सत्य वैसे भी ऊँची उड़ान भरने वाले को भी आखिर नीचे ही आना पड़ता है सुन्दर बोध कविता
Aabhaar
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