Monday, May 26, 2014

"चीटिंग इसे न कहना"

मुर्ग़े मोर बतख ने मिलकर
कर डाली एक मीटिंग
'ऊंची नहीं उड़ान हमारी
ये कुदरत की चीटिंग'

आसमान से एक परिंदा
बोला तभी झांक कर
'चीटिंग' इसे न कहना मित्रो
देखो ज़रा आँक कर

जो जितना ऊपर जाता है
रहता निपट अकेला
नीचे वालों के संग होता
ये दुनिया का मेला

नाचे मोर सदा जंगल में
नभ में कैसे नाचे ?
कुकड़ू कूँ मुर्गे की सुनकर
सारी बस्ती जागे।   


2 comments:

  1. जो जितना ऊपर जाता है
    रहता निपट अकेला
    नीचे वालों के संग होता
    ये दुनिया का मेला
    बिलकुल सत्य वैसे भी ऊँची उड़ान भरने वाले को भी आखिर नीचे ही आना पड़ता है सुन्दर बोध कविता

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