Monday, May 26, 2014

वैसे तो अच्छा नहीं इतिहास में लौटना, लेकिन फिर भी

हमारे अतीत ने और जो बातें हमें सिखाई हैं, वे तो अपनी जगह हैं ही, लेकिन एक महत्वपूर्ण बात ये भी सिखाई है कि डिब्बा-बंद चीज़ें हमेशा अच्छी नहीं होतीं।
डिब्बा बंद चीज़ों से मतलब ये है कि वे भविष्य के लिए डिब्बे में बंद करके रख दी जाती हैं, ताकि ज़रूरत के समय उन्हें निकाल कर काम में लिया जा सके।
इतिहास में डिब्बा-बंद "राजा" भी होते थे।  वे भविष्य में इस्तेमाल किये जाने के लिए रख दिए जाते थे, ताकि ज़रूरत के समय अवाम के द्वारा निकाल कर बरत लिए जायँ। भविष्य के लिए राजा डिब्बे में बंद करने की ज़िम्मेदारी वर्तमान राजा की होती थी।  वह अपने ही पुत्रों में से एक, अमूमन बड़े पुत्र को डिब्बा-बंद कर देता था।  यदि किसी राजा के संतान नहीं होती थी, तो वह समय रहते ही किसी को दत्तक-पुत्र के रूप में अपना कर डिब्बा-बंद कर देता था।  यदि संतान के रूप में पुत्र न होकर केवल पुत्री हो, तब भी ऐसा ही किया जाता था, क्योंकि ऐसा माना जाता था कि पुत्री राजकार्य नहीं चला सकेगी।
लेकिन उस ज़माने में भी यह प्रयोग तीन-चार पीढ़ियों से ज़्यादा नहीं चल पाता था।  क्योंकि हर अगली पीढ़ी के साथ राजा का "तेज" कच्चा पड़ता जाता था। फिर डिब्बा-बंद राजा ताज़ा हवा, अवाम के कोलाहल और नए दौर के चाल -चलन से महरूम भी रह जाता था।        

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