Saturday, February 23, 2013

आठ सौ पोस्ट पूरी कर देने की बेचैनी

मुझे किसी ऐसे आलोचक का इंतज़ार है जो मुझे साफ़ बताये, कि  ८ ० ० कदम चल कर अब इस यात्रा को रोक दिया जाए, या फिर ...कुछ दूर और !

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हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...