उत्तर प्रदेश के एक न्यायालय ने तीन दशक पहले गुज़र चुके गुमनामी बाबा के नेताजी सुभाष होने की जांच करने के लिए एक समिति बनाने की सलाह दे डाली।
इससे पहले भी कुछ लोगों के 'सुभाष' होने का अंदेशा समय-समय पर जताया गया है।
जब नेहरूजी का देहावसान हुआ, तो उनकी चिता के समीप अंतिम संस्कार के समय खड़े एक वृद्ध पर भी नेताजी होने का संदेह जताया गया था। लेकिन वह व्यक्ति तत्काल वहां से ओझल हो गया, और बात आई-गई हो गई।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश स्वाधीन हो जाने के बाद, ससम्मान याद किये जा रहे नेताजी को इस तरह लुक-छिप कर जीवन गुज़ारने की आखिर क्या ज़रुरत थी। यदि नेताजी वास्तव में विमान-दुर्घटना में बच जाते,तो ऐसा कोई कारण नहीं था, कि वे दुनियां की नज़रों से बचे रहते। और आज़ादी के बाद तो बिलकुल नहीं। लेकिन यह बात भी आसानी से गले नहीं उतरती कि भारतीय न्यायालयों को मुकदमों की कोई कमी है, जो वे बार-बार नेताजी के जीवित होने की अफवाहों सम्बन्धी याचिकाओं पर समय और श्रम देने को तैयार हो जाते हैं।
इससे पहले भी कुछ लोगों के 'सुभाष' होने का अंदेशा समय-समय पर जताया गया है।
जब नेहरूजी का देहावसान हुआ, तो उनकी चिता के समीप अंतिम संस्कार के समय खड़े एक वृद्ध पर भी नेताजी होने का संदेह जताया गया था। लेकिन वह व्यक्ति तत्काल वहां से ओझल हो गया, और बात आई-गई हो गई।
सबसे बड़ा सवाल यही है कि देश स्वाधीन हो जाने के बाद, ससम्मान याद किये जा रहे नेताजी को इस तरह लुक-छिप कर जीवन गुज़ारने की आखिर क्या ज़रुरत थी। यदि नेताजी वास्तव में विमान-दुर्घटना में बच जाते,तो ऐसा कोई कारण नहीं था, कि वे दुनियां की नज़रों से बचे रहते। और आज़ादी के बाद तो बिलकुल नहीं। लेकिन यह बात भी आसानी से गले नहीं उतरती कि भारतीय न्यायालयों को मुकदमों की कोई कमी है, जो वे बार-बार नेताजी के जीवित होने की अफवाहों सम्बन्धी याचिकाओं पर समय और श्रम देने को तैयार हो जाते हैं।
1) नेताजी की पुत्री और अन्य संबंधी अभी जीवित हैं और आधुनिक तकनीक संबंधियों के सहयोग से उनके अवशेषों की सत्यता की जांच करने मे सक्षम है।
ReplyDelete2) इस जांच मे परिवारजनों की कोई रुचि नहीं है क्योंकि उन्हें नेताजी के दिवंगत होने के बारे मे कोई शुबहा नहीं है।
3) यदि जांच हो भी जाए और वायु दुर्घटना मे नेताजी की मृत्यु की पुष्टि की रिपोर्ट आ जाए तो भी कंस्पायरी थ्येरिस्ट संतुष्ट नहीं होने वाले, वे उस रिपोर्ट को झूठी बताने लगेंगे।
On the mystery surrounding her father’s death, Anita Bose maintained that there was no reason that if Netaji was hiding somewhere as many believed, then he would not have contacted his family later on and come back to India after the country became free.
ReplyDeleteAapki is pushti ke liye aabhaar.
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