टर्की और जापान दोनों ही प्रतिष्ठित और संपन्न देश हैं। किसी भी काम में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। समर्थ भी हैं। वैसे सच यही है कि सामर्थ्य कार्य-दृष्टि के साथ ही आता है। सम्पन्नता भी।
2020 के ओलिम्पिक खेलों के लिए ये दोनों ही देश दावेदार हैं। अखाड़ा-प्रेमी देशों में तो यह ओलिम्पिक अभी से चर्चा में आ गया है, क्योंकि इस आयोजन में "कुश्ती" जैसे प्राचीन और शास्त्रीय खेल पर हर बुज़ुर्ग की तरह सेवा-निवृत्ति के बादल मंडराने लगे हैं। भारत में तो पहलवान अभी से मनोबल के बने रहने का संकट झेलने भी लगे हैं।
अच्छी बात यह है कि इन दोनों ही संभावित आयोजकों ने कुश्ती को बनाए रखने में अपनी रूचि दर्शाई है। इस से यह उम्मीद हो चली है कि कुश्ती आसानी से 'चित्त' नहीं होगी। आने वाले समय में नई पीढ़ी में यह सन्देश भी जाना ज़रूरी है कि बन्दूखें बदन का स्थान नहीं ले सकतीं।
2020 के ओलिम्पिक खेलों के लिए ये दोनों ही देश दावेदार हैं। अखाड़ा-प्रेमी देशों में तो यह ओलिम्पिक अभी से चर्चा में आ गया है, क्योंकि इस आयोजन में "कुश्ती" जैसे प्राचीन और शास्त्रीय खेल पर हर बुज़ुर्ग की तरह सेवा-निवृत्ति के बादल मंडराने लगे हैं। भारत में तो पहलवान अभी से मनोबल के बने रहने का संकट झेलने भी लगे हैं।
अच्छी बात यह है कि इन दोनों ही संभावित आयोजकों ने कुश्ती को बनाए रखने में अपनी रूचि दर्शाई है। इस से यह उम्मीद हो चली है कि कुश्ती आसानी से 'चित्त' नहीं होगी। आने वाले समय में नई पीढ़ी में यह सन्देश भी जाना ज़रूरी है कि बन्दूखें बदन का स्थान नहीं ले सकतीं।
सादर नमन ।।
ReplyDeleteबढ़िया है -
शुभकामनायें- ||
कुश्ती को नहीं हटाना चाहिए ओलम्पिक से ! ये अन्याय है!
ReplyDeleteAap donon ka aabhaar.
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