कल कुछ देर एक ऐसे समारोह में बैठने का अवसर मिला जहाँ कई बड़े-बड़े विद्वान, लेखक, साहित्यकार और चिन्तक मौजूद थे. वहां किसी सन्दर्भ में यह सवाल उठा कि जयपुर में आयोजित होने वाला लिटरेचर फेस्टिवल समाज के लिए कितना उपयोगी है? प्रश्न उठाने वाले विचारकों का कहना था कि इस फेस्टिवल को क्योंकि कई बड़ी-बड़ी मल्टी नेशनल कम्पनियां प्रायोजित करती हैं, अतः यह स्थानीय संस्कृति के अनुकूल नहीं होता.
वहीँ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल दुनिया भर में अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है, और इसे पसंद करने वालों की बहुत बड़ी संख्या है, तो सोचिये, कि आपको ऐसा क्यों लगता है.
यदि कोई बड़ी संस्था किसी आयोजन को सहायता देती है तो इससे आयोजन की श्रेष्ठता या व्यर्थता का कितना सम्बन्ध है? आप भी सोचिये.
वहीँ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल दुनिया भर में अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है, और इसे पसंद करने वालों की बहुत बड़ी संख्या है, तो सोचिये, कि आपको ऐसा क्यों लगता है.
यदि कोई बड़ी संस्था किसी आयोजन को सहायता देती है तो इससे आयोजन की श्रेष्ठता या व्यर्थता का कितना सम्बन्ध है? आप भी सोचिये.
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