मुझे लगता है कि दुनिया के कुछ 'सब कुछ बदल देने वाले' आविष्कार जब हुए होंगे तो कितना मज़ा आया होगा! एक दिन बैठे-बैठे इंसान को लगा होगा कि अब वह तेज़ गति से चल सकता है। ऐसे ही एक दिन उसने सुना होगा कि अब वह अँधेरे में भी देख सकता है। फिर उसने जाना कि वह जो कुछ सोच रहा है, वह दूसरों को भी बता सकता है। मज़ा आ गया होगा जब उसे पता लगा होगा कि जो कुछ उसके पास नहीं है, वह उसे भी हासिल कर सकता है। उसे अद्भुत लगा होगा वह नज़ारा जब उसने पाया होगा कि वह जो कुछ निगल रहा है, वह और भी स्वादिष्ट हो सकता है।
आज की सुबह भी कुछ-कुछ ऐसी ही थी। मैं सुबह की चाय पीते हुए अखबार पढ़ रहा था। अखबार ने बड़ी मेहनत से एक कवरस्टोरी तैयार की थी। वह आवरण-कथा ऐसी ही थी, जैसे अखबार ने कुछ नया ढूंढ लिया हो। अखबार ने कुछ ऐसे नामी-गिरामी लोगों की तस्वीर और बयान भी छापे थे, जो इस नए आविष्कार पर सहमति की मोहर लगाने को तैयार थे।
अखबार ने लिखा-"रिश्वत और घूस का चलन अब समाप्त नहीं हो सकता, अब हमें इसके साथ ही जीने की आदत डालनी होगी।"
न जाने क्यों, मुझे लग रहा है कि कोई नया आविष्कार इस तरह तो नहीं होता होगा।
आज की सुबह भी कुछ-कुछ ऐसी ही थी। मैं सुबह की चाय पीते हुए अखबार पढ़ रहा था। अखबार ने बड़ी मेहनत से एक कवरस्टोरी तैयार की थी। वह आवरण-कथा ऐसी ही थी, जैसे अखबार ने कुछ नया ढूंढ लिया हो। अखबार ने कुछ ऐसे नामी-गिरामी लोगों की तस्वीर और बयान भी छापे थे, जो इस नए आविष्कार पर सहमति की मोहर लगाने को तैयार थे।
अखबार ने लिखा-"रिश्वत और घूस का चलन अब समाप्त नहीं हो सकता, अब हमें इसके साथ ही जीने की आदत डालनी होगी।"
न जाने क्यों, मुझे लग रहा है कि कोई नया आविष्कार इस तरह तो नहीं होता होगा।
सही कहा
ReplyDeleteDhanyawaad. lekin kya ham is aavishkar ko sahmati de denge?
ReplyDeleteबुराइयों को चिरस्थाई बताने वाले लोग मिलते रहेंगे, कई बार वे मुखपृष्ठ पर भी पहुँच जाएंगे लेकिन हमें अपनी ज़िम्मेदारी भूलनी नहीं है
ReplyDelete