Saturday, September 17, 2011

चला रहा है ?

एक आदमी अखबार पढ़ रहा था.अखबार में एक विज्ञापन था-"५ रूपये में भरपेट भोजन".
वह झटपट दिए हुए पते पर पहुँच गया.पता एक होटल का था.होटल के दरवाजे पर एक बोर्ड लटका था-"१० रूपये में भरपेट भोजन".व्यक्ति बोर्ड की अनदेखी कर भीतर घुस गया,भूख जो लगी थी.
बैठते ही मेनू कार्ड आया.उसमे लिखा था-"भरपेट भोजन थाली-२० रूपये".
व्यक्ति झल्लाया.पर भूख से बेहाल था.ऑर्डर दे दिया.
भोजन के बाद जब बिल आया तो वह ४० रूपये का था.लिखा था-भोजन २० रूपये,पानी २० रूपये.
व्यक्ति ने खीज कर ५० का नोट दिया और बाक़ी चिल्लर के लिए इंतजार करने लगा.थोड़ी देर में वेटर लौटा,पर वह चिल्लर नहीं लाया, बल्कि दमदार सैल्यूट कर के खड़ा हो गया,मानो कह रहा हो-टिप नहीं देंगे सर?
व्यक्ति बौखला कर काउंटर की ओर बढ़ा और उसने वहीँ से अख़बार के दफ्तर में फोन किया.चिल्ला कर बोला- आपने अमुक होटल का जो विज्ञापन दिया है...वह इतना ही बोला था कि उधर से विनम्रता से आवाज़ आई-यस सर,सुबह से यह १००० वां कॉल है,हम कहते-कहते थक गए कि विज्ञापन में भूलवश जीरो छपने से रह गया है.व्यक्ति फोन पटकने ही वाला था,कि उधर से आवाज़ आई-सर बधाई हो,आप कॉल करने वाले एक हजारवें ग्राहक हैं, आपके लिए होटल की तरफ से गिफ्ट है.यदि आप पूरे साल यहीं खाना खाएं तो आपको एक रूपये रोज़ की छूट है.
व्यक्ति बुदबुदाया-लगता है इस होटल को कोई "अर्थशास्त्री' चला रहा है.
मैनेजर बोला-सॉरी सर,क्या पूछा,देश को ?

2 comments:

  1. achchi manoranjak post.really desh ka yahi haal hai kyunki arthshaastri jo chala raha hai.

    ReplyDelete

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

Lokpriy ...