यदि आप जूते बनाने या बेचने के व्यवसाय से जुड़े हैं तो सतर्क हो जाइये.एक नई खोज जल्दी ही बाज़ार में दस्तक देने वाली है.हो सकता है कि कुछ साल बाद जीवन से जूतों का कॉन्सेप्ट ही मिट जाये.
आज आपको सुनकर चाहे अटपटा लगे,लेकिन जल्दी ही बाज़ार में ऐसी जींस आने वाली हैं,जो मोहरी के नीचे,पैरों के पास आपके पाँव की सुरक्षा के लिए शानदार 'इनबिल्ट' प्रावधान देने वाली होगी.वर्तमान जूते पैंट में ही इस तरह सिले हुए होंगे कि बस,पैरों में डालिए और निकल पड़िये सड़क पर.सोल भी इतना शानदार डिजायनर, कि आपकी जींस आपका स्टैंड बन जाएगी.हर डिजायन,हर रंग, हर सुविधा, और बस निकल पड़िये.न कसने का झंझट,न बाँधने की ज़रुरत,न साफ़ करने की कवायद.
जो लोग मंदिरों के बाहर लोगों के जूते संभाल कर रोज़ी कमाते हैं वे भी चौकन्ने हो जाएँ.वे कोई दूसरा रोज़गार देखें.आप यह बिलकुल मत सोचिये कि इस नई खोज को मंदिर के भीतर ले जाने की अनुमति कैसे मिलेगी?
कोई आपसे यह तो नहीं कहेगा कि 'पैंट'बाहर उतार कर आओ?
जी नहीं.डरिये मत,आपको सड़क का कचरा जींस में समेट कर अपनी वार्डरोब में नहीं लाना पड़ेगा.आपके कपड़ों में सिला यह सिंथेटिक बनावट का बॉटम सड़क पर ही हर तरह के कचरे को अलविदा कहता रहेगा.आप कीचड़-मिट्टी से भी निकल कर आये तो आपके वस्त्र गन्दगी से ऐसे बच कर आयेंगे,जैसे पानी की बूँद से कमल के पत्ते.इन पर गंदगी लगना तो दूर,इनकी खुशबू तक कम न होगी.
और ये तो आपको भी याद होगा कि 'खडाऊं' सिंहासन पर रखने की अनुमति तो स्वयं भगवान राम ने भी भरत को दी थी.फिर मंदिर के फर्श पर इन्हें लाने में कैसा परहेज़? अब मंदिरों की सफाई भी तो तरह-तरह की मशीनों से होने लगी है.
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