Wednesday, September 21, 2011

अब दांत से पाई-पाई नहीं, लाखों का जेवर पकड़िये

गहनों का चलन बहुत पुराना है.थोड़े बहुत गहने तो कमोवेश विश्व के सभी देशों में पहने जाते हैं.गहने पहनने के कई कारण गिनाये जाते हैं.यह सुन्दर लगते हैं,इनके माध्यम से कई कीमती धातुएं आड़े वक्त के लिए हमेशा हमारे पास होती हैं,यह तरल पैसा है,कुछ-एक गहनों की शारीरिक उपयोगिता भी है जो शरीर के तंत्रिका-तंत्र या रक्त-परिवहन से जुड़ी है.
तो अब तैयार हो जाइये इक्कीसवीं सदी के एक ख़ास आभूषण को पहनने के लिए,जो उपयोगिता में सभी गहनों को पीछे छोड़ देगा.इसकी सबसे बड़ी खूबी यह होगी कि इसे महिलाएं व पुरुष दोनों चाव से पहनेंगे.
यह पोर्सिलीन,प्लास्टिक और प्लैटिनम के फ्रेम पर बना होगा तथा इसमें कोई भी बेशकीमती रत्न-हीरा,पन्ना या माणिक काम में लिया जा सकेगा.इसे दांतों पर पहना जा सकेगा,जहाँ से यह मुंह को आराम और होठों को शोभा तो देगा ही,आपके लिए ज़बरदस्त काम भी करेगा.
खाई जाने वाली सभी चीज़ों को चबाने की ज़िम्मेदारी पूरी तरह इसी की होगी.भोजन के ठंडा,गरम,खट्टा या मीठा होने पर इसकी भूमिका और भी बढ़ जाएगी.यह भोजन के तापमान व अम्लीय गुणों को सहने की मुंह की क्षमता बढ़ाएगा.आप फ्रीज़र से निकली आइसक्रीम तुरंत मुंह में रखें,या उबलती हुई कॉफ़ी, यह सब सह लेगा.ठोस भोजन को टुकड़ों में बांटने और चबाने का काम भी यही करेगा. दांत हमेशा सही-सलामत रखने में यह गहना जादुई चिराग साबित होगा. 
बस यह समझ लीजिये कि आपके दांतों पर एक छोटा सा रत्नजड़ित मिक्स़र-ग्राइंडर ही लगने वाला है जो गुलाबी होठों के बीच हीरों के झाड-फानूस की भाँति दमकता भी रहेगा.
सजने का हक़ कानों, नाक या गले को ही क्यों हो, दांतों को क्यों नहीं? नेकलेस, टॉप्स या नथनी को कोई नया जोड़ीदार भी तो मिले.बरास्ता फ़्रांस और इंग्लैण्ड, इस सौगात को भारत में आने तो दीजिये-इसे दुनिया-भर में हाथों-हाथ नहीं,बल्कि दांतोंदांत लिया जायेगा.

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