हमारे देश में रोटी कमाने के उतने ही तरीके हैं,जितने खाने वाले पेट. संसाधन कुछ भी हों, बस जोड़ी में हों.यदि आपके पास चार बांस और एक रस्सी हो तो आप कमा-खा सकते हैं.एक गला और एक ढपली हो तो आप भूखे नहीं रहेंगे.एक कमर और एक जोड़ी घुँघरू हों तो भी आपका पेशा चल निकलेगा. और एक जोड़ी खादी के कपड़े और एक लाल बत्ती वाली गाड़ी हो, तो भी आप जी लेंगे.
चार बांस कहीं भी गाढ़ दीजिये, उन पर खींच कर रस्सी बांधिए, और दिखा दीजिये कोई भी करतब. जनता ताली भी बजाएगी और थाली में चिल्लर भी डालेगी. न आपको कोई रोकने वाला, न कोई टोकने वाला क्योंकि बांस भी आपके और रस्सी भी आपकी. रस्सी ऊँचाई पर बांधेंगे तो जनता सर उठा कर करतब देखेगी. नीचाई पर बांधेगे तो नज़रें झुका कर देखेगी.साथ में नट की आवाज़ भी खनकदार हुई तो सोने पे सुहागा. कुछ भी कर सकते हैं, जनता को भायेगा ही.
सबसे पहले रस्सी को धीरे-धीरे नीचे लाइए. देखिये गरीबी घटी? घट गई न? और नीचे लाइए. और घटी?बस ऐसे ही. घटा लीजिये, जितनी चाहिए.
ये आ गई रस्सी बत्तीस फुट पर. बस. अब और कम नहीं. इतने बड़े मुल्क में इतने से गरीब तो चाहिए.
'करतब' आता हो तो अमीरी-गरीबी क्या चीज़ है.
जिसकी जैसी खाज भैया
ReplyDeleteवैसा करो इलाज भैया
बत्तीस रुपै गरीबी के हैं
उन्नत हुआ समाज भैया
रज़िया फ़ंस गयी गुन्डों में
मूल बचा न ब्याज भैया
दुश्शासन से आस लगाए
कैसे बचती लाज भैय्या
शूर्पणखा के शासन में तौ
आय चुका रामराज भैया
rakkho thodi laaj bhaiya
ReplyDeletechalne do na raaj bhaiya
hamto kewal saaj bhaiya
auron kee aawaz bhaiya
maathe pe hai taaj to kya
peechhe hain 'sartaaj' bhaiya.