लगता है सारे विकास के बावजूद दिल्ली में अभी भी फाइव स्टार रिहायशों की कमी है.सारे के सारे वीआइपी एक ही जगह टूट कर पड़ रहे हैं.किरण बेदी वास्तव में बधाई की हक़दार हैं.अपने दिल्ली के कार्यकाल के दौरान उन्होंने तिहाड़ में इतने सुधार किये, इतने सुधार किये कि अब तिहाड़ की रसोई की महक बड़े बड़ों को लुभा रही है.जिसे देखो, आने को आतुर है. जो लोग 'लोकपाल' की नज़रों के दायरे में आने तक में कतरा रहे थे वे भी तिहाड़ की ओर 'ताक'रहे हैं. देखे कब से हमारा भी नाम तिहाड़ की रोटियों पर लिखा है?यहाँ भी एडवांस बुकिंग?
कभी आज़ादी की लड़ाई में बड़े-बड़े नेता,क्रांतिकारी और लोकसेवक जेल गए थे. शायद वक्त अब प्रायश्चित करे कि वे कौन लोग थे,और ये कौन लोग हैं.हो सकता है कि यही आधुनिक किला "तिहाड़" इन की आत्मा 'वाश' करके इन्हें बाहर निकाले.लेकिन इन लोगों ने कोई 'सेकेण्ड लाइन' तैयार न कर रखी हो? देश एक बार तो संसद और सरकार "वेकेट" कराये.
No comments:
Post a Comment