दो तितलियाँ उड़ते-उड़ते एक खेत में पहुँच गईं.वहां हल चला रहे एक लड़के से उन्होंने पूछा-यहाँ क्या उगाओगे?
अपने लिए चावल,लड़का बोला.तितलियाँ उपेक्षा से बोलीं-"सेल्फिश"और उड़ गईं.
कुछ दिन बाद तितलियों को लड़के की याद आई.वे खेत में पहुँचीं.चावल उग चुके थे.कुछ कबूतर दाना खा रहे थे.बकरियां फेंके गए पौधे चर रही थीं.लड़का चावल मंडी में ले चला.चावल बाज़ार से एक सुन्दर पैक में एक घर में आते देख तितलियाँ उस घर की खिड़की पर मंडराने लगीं.उन्हें बड़ा मज़ा आया,जब दादीमाँ चावल बीनने बैठीं.वे कंकड़ के साथ कभी-कभी दाना भी फेंक देतीं,और एक चिड़िया फुदक-फुदक कर उसे उठा ले जाती.तितलियाँ ख़ुशी से ताली बजातीं.
चावल बहुत स्वाद थे,पर घर के लोगों ने थोड़ी जूठन भी छोड़ी.उसे गली के कुत्ते ने खाया.पिछवाड़े की नाली से जब बर्तन धुलने का पानी आया,कई कीड़े दौड़े.तितलियों ने भी सबकी नज़र बचा कर थोड़ा चख लिया.
तितलियों को लड़के की याद आने लगी.वे खेत पर पहुँचीं तो देखा,लड़का एक पेड़ के नीचे बैठा चने खा रहा था.तितलियाँ शरमाते हुए उसके समीप पहुँचीं,और बोलीं-"सॉरी भैया".लड़का कुछ न बोला,शायद वह सोच रहा था कि शाम को हाट से बहन के लिए तितलियों के रंग सी चुनरी लेकर घर जायेगा.
बहुत सुन्दर सन्देश, धन्यवाद!
ReplyDelete