Tuesday, July 12, 2011

महीयसी महादेवी, पुरुषोत्तम दास टंडन,महाप्राण निराला और वो 
जब वह कक्षा सात में पढ़ता था तो एक दिन अपनी डायरी में ग़ालिब के एक शेर की एक लाइन लिख लेने पर उसे कक्षा से बाहर निकाल दिया गया. इसलिए, कि वह लाइन उसने हिंदी में लिख ली थी, तमिल में नहीं. कक्षा ग्यारह में उसने स्कूल में भारत माता की जय हिंदी में बोल कर पीठ पर डंडा खाया. 
कल हम उसी की  बात करेंगे.आज आप सोचिये, कि वह कैसा होगा, कौन होगा, कहाँ होगा? 

1 comment:

हम मेज़ लगाना सीख गए!

 ये एक ज़रूरी बात थी। चाहे सरल शब्दों में हम इसे विज्ञापन कहें या प्रचार, लेकिन ये निहायत ज़रूरी था कि हम परोसना सीखें। एक कहावत है कि भोजन ...

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