ये "सितारे" कहलाते थे. ये सबको दीखते थे, किन्तु सेल्युलाइड के रुपहले परदे पर. लेकिन मुझे इनसे आमने-सामने मिलने का अवसर मिला. कुछ से बातें भी हुईं. कुछ से मित्रता भी. मुझे यह भी पता है कि इनमे से कई अब जनता-जनार्दन की नज़रों से ओझल हो चुके हैं. कई कालातीत भी. लेकिन मैंने इन्हें इनकी सितारा हैसियत में ही देखा था, इसलिए मैं इन्हें आज भी उसी तरह याद करता हूँ, जिस तरह अपने पुराने दिनों को.
कीर्ति सिंह, फरियाल, सुजीत कुमार, जगदीश सदाना, सनम गोरखपुरी, रजा मुराद,आकाशराज,रूपेश कुमार, चन्द्र शेखर,और जुगनू से मेरा परिचय हुआ तब यह सक्रिय थे.यद्यपि इनकी स्टार-वैल्यू कोई बहुत ज्यादा न थी.
पद्मा खन्ना, आदित्य पंचोली, भीमसेन से में जब मिला तब ये चर्चित थे.
राजेंद्र कुमार, रंधीर कपूर, ऋषि कपूर, जीतेंद्र, जयाप्रदा, जया भादुड़ी बच्चन,स्मिता पाटिल, हरमेश मल्होत्रा, वहीदा रहमान और ए आर रहमान को देखना अद्भुत अनुभव था. अभिषेक बच्चन से मैं तब मिला जब वे कोई सितारा नहीं थे बल्कि अपनी माताश्री जयाजी के साथ आये थे.राजेंद्र कुमार को मैं कभी नहीं भूल सकता क्योंकि उनके साथ मैंने कई लम्बी-लम्बी बैठकें की थीं. ईश्वर उन्हें थोड़ी उम्र और बख्शता तो शायद हम साथ-साथ काम भी करते. उनके पुत्र के लिए लिखी कहानी "निस्बत' को उन्होंने पसंद किया था. जिसमे खुद उनके लिए भी महत्त्व-पूर्ण भूमिका थी.
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