Saturday, July 16, 2011

मीडिया, सरकार, ज़माने और अक्षय कुमार को बधाई

किसी को मुबारकवाद देने से पहले उसे यह बताया जाता है कि यह बधाई क्यों दी जा रही है. कभी-कभी
'सरप्राइज़' देने के लिए बाद में बताया जाता है. पर अब इस रोजमर्रा की बात में सरप्राइज़ कैसा. 
तो मीडिया को इसलिए बधाई कि उसने कुछ भारी-भरकम शब्दों को इस्तेमाल कर-कर के जनता को उनका ऐसा अभ्यस्त बना दिया है कि वे आम बोलचाल के शब्द बन कर रह गए हैं. सरकार तो हमेशा से बधाई की पात्र रहती ही आई है.बहरहाल इस बार इसलिए बधाई कि उसकी नीतियों के चलते जनता दिनों-दिन बहादुर होती जा रही है. ज़माना भी बधाई का हक़दार है, क्योंकि कलियुग उम्मीद से कुछ अच्छा ही जा रहा है. अब बचे अक्षय कुमार, तो इस खिलाड़ी ने लोगों को खतरों से खेलना सिखाया है. 
मेरे पडौस में काफी दिन से एक मकान के बेसमेंट में कुछ काम चल रहा था. शायद कुछ बिजली-पानी के कनेक्शन का काम था. एक दिन महिलाओं को आपस में बातचीत करते देखा. आवाज़ स्वाभाविकतया काफी बुलंद थी, और आसपास वालों को भी आनंदित कर रही थी. एक महिला बोलीं- अब तो आपके अंडर-वर्ल्ड में काफी अच्छे कनेक्शन हो गए. उन्होंने पलट कर जवाब दिया- आप भी तो भू-माफिया हो गए. ज़ाहिर है कि उन्होंने कुछ दिन पहले एक प्लाट खरीदा था. 

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