चाची का जवाब सुनने के बाद जब रात को मैं सो गया, मैंने सपने में फिनलैंड देखा. मैंने देखा कि चाची फिनलैंड में घूम रही हैं. वे एक बड़े से 'शोरूम' में घुस कर सैंडलों के लेटेस्ट डिजाइन छांट रहीं हैं.मुझे यह देख कर अचम्भा हुआ कि चाची उन लोगों से बात कैसे कर पा रही हैं? पर कुछ ध्यान से देखने पर मैंने पाया कि उन्हें बात करने की विशेष ज़रूरत पड़ नहीं रही.सेल्समैन उन्हें सैंडल छांटते देख रहा है और इंतज़ार कर रहा है कि वह कौन सा जोड़ा चुनती हैं.
अपने चुने सैंडल पहनते ही चाची एकदम फिनलैंड की महिलाओं की तरह हो गईं, और उसी अंदाज़ में चलने लगीं. मुझे अब अपना सपना तोड़ देना पड़ा क्योंकि "हाई-हील" से चाची को कष्ट हो रहा था.
सपना टूटते ही मैंने राहत की सांस ली और अपने को भारत के ही कानपुर शहर के एक मकान की छत पर पाया. आस-पास घर के सभी लोग सोये हुए थे, चाची भी. मैं आश्वस्त हो गया कि चाची फिनलैंड में नहीं हैं.
क्या आप जानते हैं कि आखिर चाची को यह फिनलैंड का फितूर चढ़ा कैसे? कुछ दिन पहले वे अपने भाई के बेटे को एयरपोर्ट छोड़ने जा रहे चाचाजी के साथ कार में दिल्ली एयरपोर्ट चली गयीं. वहां एक हरे रंग के सुन्दर से जहाज को देख कर उन्हें जिज्ञासा हुई कि यह विमान कहाँ जा रहा है. भतीजे ने बताया कि यह 'फिनलैंड' जा रहा है. बस, चाची फिनलैंड की हो गईं. वो कहते हैं ना, कि गृहस्थों की तो "जो दिख जाये वो ही काशी".
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