Wednesday, April 6, 2011

किंग इज किंग

कहा जाता है कि आत्मकथा लिखना झूंठ बोलने का सबसे सम्मान जनक तरीका है। इस विचार के पीछे तर्क यह दिया जाता है कि यदि व्यक्ति सब कुछ सच- सच कहने का अभ्यस्त होगा तो वह जीवन में इतना बड़ा कभी बन ही नहीं पायेगा कि आत्मकथा लिखने की सोचे। समझ में नहीं आता कि इस उक्ति में परिहास का प्रतिशत कितना है? एक बार एक जंगल में एक घोड़े, एक हिरन, एक ऊँट और एक खरगोश में गहरी दोस्ती हो गयी। संयोग से जंगल के किनारे पर कुछ किसानों के चार खेत भी थे। बस, चारों मित्रों ने एक-एक खेत चरने के लिए बाँट लिया। अब भोजन की समस्या भी हल हो गयी।खूब खाना-पीना होता और दिन भर आनंद से कटता। एक दिन न जाने क्यों, मन ही मन घोड़े को लगने लगा कि उसके हिस्से के खेत में चोरी - छिपे कोई और भी चर जाता है , जिससे उसे रोजाना जितना भोजन नहीं मिल पाता । उसने किसी मित्र को नाराज़ करना उचित नहीं समझा, चुपचाप जाकर राजा शेर से शिकायत कर दी। शेर यह जान कर चिंतित हुआ और उसने पता लगाने की बात सोची। कुछ ही दिनों में ऐसी ही शिकायत हिरन की ओर से भी आ गयी। शेर कुछ समझ पाता कि ऊंट भी वही शिकायत लेकर चला आया।राजा को लगने लगा कि उसके राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है। राजा ने सोचा- कोई एक प्राणी तो सबका खेत चर नहीं सकता, ज़रूर यह सब एक - दूसरे को चोरी- छिपे धोखा दे रहे हैं। राजा ने सभी को बुला कर समझाना चाहा। पर फिर उसे ख्याल आया कि तीनों को बुलाने के बदले खरगोश से भी कह दिया जाये कि यदि तुम्हारे खेत में भी चोरी होती हो तो तुम भी चुपचाप किसी और खेत में चर लिया करो।राजा ने न्याय कर दिया। उसके दरबारियों ने सोचा- किंग इज किंग ।

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